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भोग वादी मानव आवादी पर अंकुश लगना अब जरूरी : आचार्य सूरज कृष्ण

फोटो :- जसवंत नगर की खटखटा बाबा की कुटिया पर विशाल भीड के मध्य प्रवचन करते आचार्य सूरज कृष्ण शास्त्री

जसवंतनगर इटावा। बसंत उत्सव को लेकर यहां की खटखटा बाबा कुटिया पर चल रहे महाशिवपुराण कथा में प्रवचन करते राष्ट्रीय संत आचार्य सूरज कृष्ण शास्त्री, वृंदावन धाम ने कहा है कि अब समय आ चुका है कि अनियंत्रित हो चुकी बढ़ती भोगवादी मानव आवादी पर अंकुश लगे, जिस पर केवल और केवल परम चेतना ही अंकुश लगा सकती है।

उन्होंने प्रवचनों में कहा कि प्राकृतिक नियम कहता है की धरती पर जितने मनुष्य हैं ,उससे ढाई गुणा जल में रहने बाले जीव होने चाहिए। पांच गुणा पेड़-पौधे, तीन गुणा कीड़े-मकोड़े, और इतने ही पक्षी, और सात गुणा पशु होने चाहिए,? तभी प्रकृति का संतुलन कायम रहेगा।

किंतु आज का मानव पशुओं को काट- काट खा गया, पेड़-पौधों को विकास की भैंट चढ़ा दिया, जल में रहने बाले जीवों को भी खा गया। कुछ नदियां-तालाब प्रदुषित होने से खत्म हो रहे, पक्षी भी विकास की भैंट चढ़ रहे, अब बच गये कीड़े-मकोड़े तो अब उनको भी खाना आरम्भ कर दिया है!

इसलिए अब पशुओं, पंछियों, कीड़े-मकोड़ों की खेती की जाने लगी है ,क्योंकी प्राकृतिक तौर पर उतने उत्पन्न हो नही पा रहे तो मछली पालन किया जा रहा , कीट पालन हो रहा, मुर्गी पालन किया जा रहा ताकि मांस की आपूर्ति हो सके!

इससे बड़ा प्राकृतिक असंतुलन क्या हो सकता है ?० इस असंतुलन के उत्तरदायी स्वयं को मानव समझने बाले हम दौ पैरों बाले पशु ही हैं!

इसलिए भोगवादी मानव प्रवृत्ति पर आवादी पर अंकुश लगना जरूरी है।

इस महाशिवपुराण के 8 वें दिन सूरज कृष्ण शास्त्री के प्रवचनों को सुनने को ऐतिहासिक भीड़ कुटिया के प्रांगण में थी। महिलाओं की गैलरी में तो तिल रखने तक की जगह नहीं थी। कुटिया के महंत बाबा मोहन गिरी ने बताया कि मंगलवार को महाशिवपुराण कथा का समापन होगा और 26 जनवरी को बसंत उत्सव को लेकर विशाल भंडारा और प्रसाद वितरण होगा।

इस शिव पुराण महा कथा में सुमित शुक्ला विमलकुमार नीटू कोषाध्यक्ष, कमलेश यादव, पंकज गुप्ता, लाल पुरवार, उत्कर्ष गुप्ता, ओमपाल यादव हिमांशु कुमार सविता, चुन्नू पान वाले, प्रशांत चौरसिया, चंचल गुप्ता,प्यारे मोहन, राजेंद्र दिवाकर बिल्लू यादव ,गोपाल गुप्ता ,मुकेश शाक्य, दीपक शाक्य, शिव कुमार गुप्ता, अवनीश कुमार, अजय कुमार, अनुभव यादव, आदि व्यवस्था में बढ़-चढ़कर सहयोग कर रहे हैं।

*वेदव्रत गुप्ता