हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ की नैया पार लग गई। इसके लिए अडानी ने अबू धाबी, दोहा और रियाद के लिए कई उड़ानें भरीं थीं।
इसने समूह की कंपनियों में पहले ही लगभग 2 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। अडानी ने अबू धाबी, दोहा और रियाद के लिए कई उड़ानें भरीं थीं। उनके साथ सीएफओ सिंह और अडानी ग्रीन एनर्जी के कार्यकारी निदेशक, भतीजे सागर अडानी भी थे। रणनीतिक गठजोड़ के बीज पिछली गर्मियों में बोए गए थे, लेकिन यह वास्तव में इस सप्ताह फला-फूला, जब हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी के शेयर गिर गए।
एफपीओ को पूरा सब्सक्राइब किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक, 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ को मंगलवार को बिक्री के आखिरी दिन गैर-खुदरा निवेशकों का जबरदस्त समर्थन मिला है। बीएसई के आंकड़ों के मुताबिक गैर-संस्थागत निवेशकों (NII) ने उनके लिए रिजर्व 96.16 लाख शेयरों के मुकाबले तीन गुना से अधिक शेयरों के लिए बोलियां लगाईं।
अडानी की गिरती साख को बचाने में सबसे पहले एचआईसी आई। यह कंपनी संयुक्त अरब अमीरात के शाही परिवार से जुड़ी कंपनी है। राष्ट्रपति के भाई शेख ताहनून बिन जायेद अल नाहयान इसे चला रहे हैं।