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राम मंदिर को ‘अयोध्या बुद्ध विहार’ घोषित करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से किया इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अयोध्या में जिस भूमि पर राम मंदिर बनाया जा रहा है, उसे ‘अयोध्या बुद्ध विहार’ घोषित करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

याचिकाकर्ता विनीत मौर्य का तर्क था कि उस स्थल से बौद्ध कलाकृतियां मिली थीं और इस तथ्य को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद में अपने 2010 के फैसले में दर्ज किया था।  उस भूमि को प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष (संशोधन और सत्यापन) अधिनियम की धारा- 3 और 4 के तहत राष्ट्रीय महत्व के एक पुरातात्विक स्थल के रूप में घोषित किया जाना चाहिए।

भारत के मुख्य न्यायाधीश(सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने, कहा कि शीर्ष अदालत ने अयोध्या के फैसले में मामले को निपटाया था। पीठ ने मौर्य से कहा कि या तो वह याचिका वापस ले लें अन्यथा याचिका खारिज कर दी जाएगी। 16वीं शताब्दी में उस स्थान पर बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले उस स्थल पर बौद्ध धर्म से संबंधित संरचनाएं और कलाकृतियां थीं, जिन्हें मस्जिद बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया गया था।