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निश्छल प्रेम और तपस्या से भक्त के सामने प्रकट होते हैं प्रभु

फोटो:-प्रवचन करती आचार्य लवि शास्त्री

जसवन्तनगर(इटावा)। जय दुर्गे मंदिर जानकीपुरम ,कचौरा रोड में आयोजित मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन ध्रुव चरित्र कथा का वर्णन करते हुए कथा वाचिका लवी शास्त्री ने कहा तपस्या और निश्छल प्रेम से भगवान भक्त के सामने प्रकट होते हैं।

उन्होंने कहा कि राजा उत्तानुपाद के दो पत्नियों में एक का नाम सुनीति और दूसरी को नाम सुरुचि था। सुरुचि के कहने पर उत्तानुपाद ने सुनीति को जंगल भेज दिया था। एक दिन सुनीति का पुत्र खेलते-खेलते राज दरबार जा पहुंचा और उत्तानुपाद की गोेदी में बैठ गया। सुरुचि ने उसे फटकारते हुए गोद से उतार कर भगा दिया। इससे दुखी बालक ध्रुव जगंल में तपस्या करने लगा। भीषण बारिश और आंधी, तूफान भी उसे डिगा नहीं सके। नारद मुनि के समझाने पर भी ध्रुव ने तपस्या नहीं छोड़ी। कठिन तपस्या देख भगवान ध्रुव के सामने प्रकट हुए और उन्हें ब्रह्मांड में अटल पदवी दी। आज भी ध्रुव तारा अपने स्थान पर अटल रहते हुए चमक बिखेरता है।

इस भगवत कथा में परिक्षित की भूमिका में श्रीमती कांती देवी तथा केशव सिंह है इस कथा का आयोजन समस्त भक्तजन सामूहिक रूप से करा रहे है।

*वेदव्रत गुप्ता