कोरोना महामारी के बाद रूस और यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को खाद्य और ऊर्जा के गहरे संकट में डुबो दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन युद्ध के आगाज से ही दुनिया पर मंडराते गहरे खाद्य और ऊर्जा संकट के प्रति आगाह किया था.
जो आज सच साबित हो रहा है। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भी भारत ने खाद्य और ऊर्जा संकट के साथ जलवायु परिवर्तन को ही मुख्य मुद्दा बनाया है। विश्व को भुखमरी से बचाने के लिए पीएम मोदी ने 2023 को मोटे अनाज के वर्ष के रूप में मनाने की अपील की है।
श्रीलंका से लेकर पाकिस्तान जैसे देश तो पूरी तरह कंगाल हो चुके हैं। यूरोपीय देशों में भी ऊर्जा और खाद्य संकट गहराने से हाहाकार मचना शुरू हो गया है। इसका समाधान खोज पाने में अमेरिका को भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत के साथ मिलकर ऊर्जा समाधान खोजने में जो बाइडन को भी उम्मीद की नई किरण दिखाई दे रही है।
मौजूदा वैश्विक परिवेश में भारत और अमेरिका दुनिया के सबसे मजबूत देश बने हुए हैं।रेटिंग एजेंसियां और विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी वैश्विक संस्थाएं कह रही हैं। आइएमएफ ने कहा है कि 2023 पूरी दुनिया के लिए सबसे अधिक चिंतापूर्ण होने वाला है।