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रंग ,गुलाल ,गन्ना और पिचकारियाें की हुई जमकर खरीद

फोटो- बाजारों में बिक रहे गन्ने, गुलाल रंग और पिचकारियां

जसवंतनगर (इटावा)। उमंग और उत्साह के पर्व होली को लेकर अमीरों-गरीबों सभी में भारी जोश है।हालांकि सोमवार को पूर्णिमा थी, मगर उदिया तिथि के मद्देनजर होलिका दहन नहीं हुआ और मंगलवार को होली नहीं खेली गई। अब होली बुधवार को होगी, इसी वजह आज बाजारों में खरीददारी के लिए लोगों की जमकर भीड़ हुई।

अमीर -गरीब सभी खरीदारी को निकले।बाजारों में दिन भर जाम की स्थिति बनी रही। हर कोई रंग, गुलाल और पिचकारिया खरीद रहा था। साथ ही गन्ने भी हर किसी ने खरीदे।

दरअसल में होली पर गुझिया खाना और गन्ना चूसना बड़ा ही शुभ माना जाता है। इसलिए लोग अपने घरों को गन्ना अवश्य ही खरीद कर ले जा रहे थे। यहां क्षेत्र में गन्ना न के बराबर पैदा होता है।इस वजह से यहां गन्ना कानपुर, फतेहपुर प्रयागराज और आसपास के जिलों से लाया जाता और बेचा जाता है। इस बार भारी मात्रा में लाल रंग गन्ना बाजारों में आया और अच्छी किस्म का गन्ना 30 रुपए से लेकर 50रुपए प्रति गन्ना रेट पर लोगों को उपलब्ध हुआ। गन्ने पर इस बार कोई मंहगाई।देखने को नहीं मिली क्योंकि पिछले वर्ष भी इसी भाव पर गन्ना होली पर बिका था। होलिका दहन के वक्त लोग लपटों पर अपने घरों पर होलिका जलाने के लिए आग लेने जब जाते हैं, तो गन्ने के ऊपर जौ या गेहूं की बाली बांधकर ले जाते हैं, ताकि होलिका मैया को इन्हे अर्पित किया जा सके।

इस बार रंग ,गुलाल की बिक्री हालांकि उतनी नहींहुई, जितनी पिछले वर्षों में देखी जाती थी। फिर भी बाजारों में रंग गुलाल बिक रहा था। लोगों की पसंद रंगों में हरा और गुलाबी रंग था ,जबकि गुलाल भी इन्हीं रंगों का खरीदा जा रहा था। कई दुकानों पर हर्बल और बायोकेमिक गुलाल पैकेट भी बिक रहे थे ,मगर ग्रामीणों का ध्यान महंगे होने के कारण उन पर नहीं था ।वह सादा गुलाल खरीद कर ही होली मनाने के मूड में थे।

बच्चों में पिचकारिया खरीदने का आतुरता थी। वे दुकानों पर अपने अभिभावकों के साथ पिचकारिया खरीदने पहुंच रहे थे। इस बार पिचकारी बेचने वाले तरह तरह की पिचकारियां लाए हुए थे, मगर उनमें ज्यादातर चाइना मेड थी। कई पिचकारिया तो 500 से लेकर 2000रुपए कीमत तक की थी, मगर मध्यम और गरीब वर्ग अपने बच्चों को सस्ती पिचकारिया खरीदवाकर संतोष कर रहे थे। केप, हेट, स्प्रे भी लोग होली के लिए खरीदते दिखे। गुलाल भरे पटाखे, गुलाल बम छोड़ने वाली बंदूके भी इस बार बिक रहीं थीं।

नगर के प्रमुख रंग-पिचकारी विक्रेता आराध्य स्टोर के मालिक आराध्य जैन ने बताया कि करीब एक हफ्ते से रंग पिचकारीयों की बिक्री शुरू हुई थी, मगर हल्की थी। परंतु इधर दो दिनों में लोगों ने जमकर खरीद-फरोख्त की है।

*वेदव्रत गुप्ता