आयुर्वेद के अनुसार जल जीवन रेखा है और यह प्रत्येक जीव के लिए आवश्यक है. यह न केवल हमें हाइड्रेटेड रखता है, बल्कि शरीर से विषाक्त पदार्थों को भी निकालता है और अन्य सभी अंगों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है.
हम में से कई लोगों की आदत होती है कि रात को बोतल में पानी भरकर सुबह उस पानी को पीते हैं और इस बैठे हुए पानी के बारे में सबसे अजीब बात यह है कि इसका स्वाद ताजे नल या फिल्टर पानी की तुलना में अलग होता है.
पानी को 12 घंटे या उससे अधिक समय तक खुला रखने से पानी में आणविक परिवर्तन होते हैं. साथ ही हवा में कार्बन डाइऑक्साइड इसके साथ मिलना शुरू हो जाता है, जिससे पीएच स्तर कम हो जाता है और परिणामस्वरूप पानी बेस्वाद हो जाता है.
अब तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि यह पानी सुरक्षित है या नहीं, लेकिन विशेषज्ञों का सुझाव है कि ऐसे पानी को पीने से बचना चाहिए. विशेषज्ञ इस बात पर भी जोर देते हैं कि खुले पानी से बचना चाहिए क्योंकि इसमें गंदगी हो सकती है.