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स्टाम्पों में चोरी के साथ ही कमीशन खोरी का सबब बना रजिस्ट्री दफ्तर 

माधव संदेश/ ब्यूरो। रायबरेली । जमीन की खरीद फरोख्त का मामला सबसे संजीदा होने के साथ ही पारदर्शी होता है । सरकारी नियमों के तहत बैनामा बकायदा स्थिति और मौके के साथ दिखाने के लिए अब फोटो भी अनिवार्य कर दिया गया है । लेकिन जिले के मुख्यालय में स्थित रजिस्ट्री दफ्तर के कारनामें अबूझ पहेली की तरह हैं । विभागीय नियमों और कानूनों की धज्जियां उड़ाने वाले कई सनसनीखेज मामले सामने आने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होने से भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद हैं । बीते दिनों हुए कई फर्जीवाड़े उजागर होने के बाद भी प्रशासन का मौन होना सवालों के घेरे में है । उल्लेखनीय है कि प्रयागराज मार्ग पर एक बेशकीमती भूखंड का एग्रीमेंट तत्कालीन एसडीएम ने अपने पुत्रों के नाम करा लिया । मीडिया की सुर्खियों में आने के बाद आनन-फानन एग्रीमेंट कैंसिल होने के बाद मामला रफा-दफा हो गया । पीएसी के समीप एक महिला की कई बिस्वा जमीन फर्जी तरीके से बैनामा कराये जाने का मामला खूब चर्चा में रहा । इसी तरह सलोन तहसील में एक दलित की जमीन का फर्जी बैनामा विधायक के गुर्गों द्वारा कराया गया था । प्रगति पुरम में एक बैनामा बिना भूस्वामी के फर्जी गवाहों के माध्यम से करा लिया गया । बड़े पैमाने पर चल रहे करोड़ों के खेल में प्रापर्टी डीलरों पूरा सर्किट शामिल होता है । सबसे ज्यादा स्टाम्पों की चोरी करके भूस्वामी को गुमराह कर उनसे अवैध उगाही करके आपसी बंदरबाँट किया जाता है । अब देखना है कि जिलाधिकारी द्वारा राजस्व को नुकसान कर रहे फर्जीवाड़े के खेल शामिल दोषियों पर कार्यवाही अमल में लाई जाती है ।

इनसेट 

कंप्यूटर आपरेटर के साथ रकम बंटवारे में ‘संजय’ की भूमिका अहम 

रायबरेली । रजिस्ट्री दफ़्तर में होने वाले बैनामों में बकायदा चैनल में काम होता है । बैनामा तैयार होने के बाद कंप्यूटर आपरेटर के पास फीडिंग होते ही हिस्सेदारी तय करने का जिम्मा ‘संजय’ के कंधों पर होती है । सूत्रों की माने तो साहब से सेटिंग कराये जाने रकम बंटवारे में संजय की भूमिका अहम होती है । बड़े मूल्य के बैनामों में स्टाम्प कमी से सरकारी राजस्व को चूना लगाकर मोटी रकम को आपस में बाँट लिया जाता है ।