रिपोर्ट – आकाश उर्फ अक्की भईया संवाददाता
औरैया। इटावा जिले से अलग होकर 17 सितंबर 1997 में औरैया जनपद बना। नगर पालिका औरैया के साथ ही छह पंचायतें हैं। इसमें नगर पंचायत फफूंद की स्थापना वर्ष 1937 में हुई। यह सबसे पुरानी पंचायत है। सबसे पहले चेयरमैन लाला गंगा प्रसाद बने। इस दौर में वाडों की संख्या सात थी। नगर पंचायत में अब 13 वार्ड हैं। जब नगर पंचायत की स्थापना हुई तब से लगातार सामान्य सीट है। अब तक 21 चेयरमैन (अध्यक्ष) का कार्यकाल रहा है। अब तैयारी नई ‘सरकार’ के गठन की है। नगर पालिका औरैया का गठन वर्ष 1949 में हुआ। इसके बाद की पंचायतें हैं।नगर निकाय सामान्य निर्वाचन को लेकर रविवार की शाम अधिसूचनाजारी कर दी गई। इसके साथ ही प्रशासन व पुलिस सजग हो गया पंचायतों में नगर पंचायत बिधूना अछल्दा, फफूंद, दिबियापुर वअटसू सहित बाबरपुर अजीतमल है। नगर पालिका औरैया की बात करें तो पहली बार यह सीट महिला अनुसूचित जाति रही। गठन से पूर्व औरैया की सीट सामान्य वर्ग रही थी। इस बार सामान्य हो गई है।वर्ष 1949 में गठन के तीन साल बाद चुनाव हुआ। 1952 में सभासदों के माध्यम से नगर पालिका अध्यक्ष चुना जाता था। पहली बार अंबिका प्रसाद चतुर्वेदी नए नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए। उस समय औरैया नगर पालिका में 12 वार्ड आते थे। इसके बाद 1988 में पंचायती राज एक्ट लागू हुआ और जनता से सीधे चुनाव हुए। यहां धर्मेश दुबे पहली बार नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए।
*दायरा बढ़ा तो बढ़ता गया क्षेत्रफल*
◾नगर पंचायत सहित पालिका क्षेत्र का दायरा बढ़ने के साथ क्षेत्रफल बढ़ता गया। औरैया जिले का क्षेत्रफल 793 वर्ष मील है। घनत्व 1,700 वर्ग मील।
◾पंचायत फफूंद की बात करें तो शुरुआती दौर लगभग डेढ़ किमी का दायरा रहा। जो अब लगभग पौने पांच किमी का क्षेत्रफल है।
*निकायों का कब हुआ गठन*
नगर पंचायत फफूंद 1937
नगर पालिका परिषद औरैया 1949
अछल्दा नगर पंचायत 1971
दिबियापुर नगर पंचायत 1983
अटसू नगर पंचायत 1978
बाबरपुर अजीतमल नगर पंचायत 1977
बिधूना नगर पंचायत 1972