कच्चे तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक+ ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है। कच्चे तेल की कीमतों में 15 फीसदी का उछाल आया था। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने कहा कि OPEC+ देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का निर्णय वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
पेरिस स्थित इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के प्रमुख फतिह बिरोल ने कहा कि 2023 की दूसरी छमाही में वैश्विक तेल बाजारों में सख्ती के संकेत मिले हैं, जिससे आपूर्ति में कमी का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था बेहद नाजुक दौर में है और कई उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं, ऐसे में ओपेक+ देशों का यह फैसला वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
100 डॉलर को पार करने की संभावना पर उन्होंने कहा कि, अब कच्चा तेल 85 डॉलर पर है, और इस साल की दूसरी छमाही को ध्यान में रखते हुए, मेरा मानना है कि कीमत मौजूदा स्तर से ऊपर उठ सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं को उठाना पड़ सकता है। कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से न केवल महंगाई बढ़ेगी, बल्कि अन्य जिंसों पर भी असर पड़ेगा। क्योंकि भारत आयात पर निर्भर है।