मेघालय में एक स्वायत्त जिला परिषद ने मातृसत्तात्मक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक अहम कदम उठाया है। उन्होंने सभी पारंपरिक खासी ग्राम प्रधानों को केवल अपनी मां के उपनाम का उपयोग करने वालों को ही आदिवासी प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है।
केएचएडीसी के कार्यकारी सदस्य जंबोर वार ने बताया- “हमने पारंपरिक ग्राम प्रधानों को खासी हिल्स स्वायत्त जिला खासी सोशल कस्टम ऑफ लाइनेज एक्ट, 1997 की धारा 3 और 12 के अनुसार आदिवासी प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया, जिसके अनुसार मां के उपनाम का उपयोग करने की हमारी प्रथा का पालन करने वालों को ही खासी के रूप में पहचाना जाएगा।”
उन्होंने कहा कि खासी द्वारा पालन की जाने वाली मातृसत्तात्मक व्यवस्था की रक्षा, संरक्षण और मजबूती के लिए यह आदेश जारी किया गया था।उन्होंने बताया कि परिषद ने पारंपरिक ग्राम प्रधानों को राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने या किसी भी राजनीतिक दल का सदस्य बनने पर रोक लगाया हुआ है। 15 मार्च को परिषद की एक कार्यकारी बैठक के दौरान लिया गया था। वार ने कहा कि यह आदेश नया नहीं है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह एक चेतावनी है।