जसवंतनगर (इटावा) नगर पालिका परिषद जसवंत नगर के अध्यक्ष और वार्ड सभासदों के चुनाव में अब केवल 4 दिन शेष रह गए हैं, 11 मई को मतदान होगा।
चुनाव को लेकर नगर में जबरदस्त ढंग से प्रचार अभियान सुबह से देर रात तक प्रत्याशियों द्वारा चलाया जा रहा है।अध्यक्ष पद के कुल मिलाकर 6 प्रत्याशी मैदान में हैं, जबकि 23 वार्डों 97 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं।
अध्यक्ष पद की कुर्सी के लिए भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं ही, निर्दलीय रूप से भी एक प्रत्याशी मैदान में है।पालिका अध्यक्ष पद के लिए करीब 28000 वोटर मतदान करेंगे।
समाजवादी पार्टी ने पुराने खिलाड़ी और 2017 में मात्र 123 वोटों से पराजित होने वाले सत्यनारायण शंखवार उर्फ पुद्दल पर दांव लगाया है। नगर में शंखवार समाज के वोट तो कम है, मगर पार्टी अपने परंपरागत वोटो यादव और मुस्लिमों के वोटर्स पर निर्भर होने के साथ-साथ क्षेत्रीय विधायक शिवपाल सिंह की छवि पर विशेष तौर से निर्भर है।
भारतीय जनता पार्टी ने बाल्मिक समाज के जय शिव बाल्मीक को टिकट देकर समतामूलक समाज का संदेश के साथ छोटे तबके तथा ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर आदि वोटों के एकजुट होने और मोदी और योगी की छवि पर चुनाव जीतने की पुख्ता योजना बनाई है। साथ ही अजय “बिंदु” यादव, जैसे यादव जातिय युवा चेहरे को चुनाव कमान सौंपकर, यादवों में सेंध लगाने की कोशिश की है, जिसे पहली बार भाजपा यहां दमदार पोजीशन में है।
आम आदमी पार्टी ने जसवंत नगर के चुनाव में पहली बार राजेंद्र दिवाकर को टिकट देकर भाग्य आजमाया है। राजेंद्र, धोबी समाज के हैं। इस समाज का यहां काफी मतदाता है तथा राजेंद्र यहां के खटखटा बाबा की कुटिया के महंत बाबा मोहन गिरी की दम पर चुनाव लड़ रहे हैं। बाबा को भरोसा है कि उनकी छवि और कुटिया पर आने वाले महिला और पुरुष, भक्त राजेंद्र दिवाकर की नैया इस चुनाव में अवश्य पार कर देंगे। पिछले चुनाव में राजेंद्र दिवाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। यहां यह भी देखने की बात है कि बाबा मोहन गिरी अपनी बीमारी के चलते सक्रिय प्रचार अभियान में नहीं दिख रहे है।
कांग्रेस पार्टी में यहां से सर्वाधिक शिक्षित और सीसहाट गांव निवासी किशन लाल एडवोकेट को मैदान में उतारा है। पार्टी का जसवंतनगर में कोई संगठन नहीं है और न ही किशन लाल की ही कोई अपनी पहचान है। लोग अभी तक यह नहीं जान पाए हैं कि वह किस जाति के हैं?.. मगर वह भरोसा किए हैं कि उनका अपना गांव उन्हें अच्छे वोट देकर उन को जीत दिलाने में सहयोग करेगा।
बहुजन समाजवादी पार्टी की भी जसवंत नगर में संगठनिक स्थिति अच्छी नहीं है। पार्टी ने राकेश कठेरिया को मैदान में उतारकर अपने परंपरागत दलित वोटों से आस लगाई है, मगर वह लड़ाई में अभी तक कहीं कोई पहचान नहीं बना पाये है। वह जिन वोटों पर आस लगाये है, वह वोट तो एक निर्दलीय प्रत्याशी की ओर ज्यादा झुके दिख रहे है।
मैदान में उतरा एक निर्दलीय प्रत्याशी प्रमोद कुमार की उनके जाटव जातीय वोटों के साथ साथ भागीरथ करू यादव के समर्थक वोटों पर बड़ी उम्मीद टिकी है। उल्लेखनीय है कि भागीरथ करूं यादव खुद समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे है, मगर पार्टी द्वारा दी गई टिकट को लेकर वह रुष्ट है।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने पिछले दो दिनों के दौरान करू यादव को बुलाकर वार्ता भी की है। उनसे साफ तौर पर कहा है कि वह पार्टी उम्मीदवार पुद्दल का समर्थन करें। इस बात की भी अफवाह उड़ गई है कि भागीरथ अब पार्टीबद्ध हो गए हैं, मगर उनकी तरफ से ऐसी कोई पुष्टि नहीं की गई है। उनका उम्मीदवार प्रमोद कुमार पूरे जोर-शोर से उनके नाम पर चुनाव प्रचार में जुटा है। सोशल मीडिया पर उसका प्रचार भागीरथ करूं यादव के नाम पर और तेज किया गया है। इससे समाजवादी पार्टी प्रत्याशी का नुकसान निश्चित तौर से हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि नगर में डेढ़ – दो हजार जाटव जाति के वोटर हैं,इन्हें बसपा की मुड़ा नहीं देखा जा रहा,यह वोटर समाजवादी पार्टी से भी इस बात को लेकर खफा है, कि पार्टी ने उनकी जाति के उम्मीदवार को टिकट नहीं दी, इसलिए ये वोटर यदि प्रमोद कुमार को वोट नहीं देंगे तो, वह भाजपा पाली में जाने को तैयार हैं।
इस तरह पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव पूरी तरह जातिय गणित पर निर्भर हो गया है।
वार्ड सभासदी चुनाव भी जातीय बना
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नगरपालिका के 25 वार्डों में 2 पर चुनाव निर्विरोध होने से 23 वार्डों के लिए, जो चुनाव हो रहा है, उसमें 97 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं। इनमें 50 से ज्यादा महिलाएं मैदान में है। वार्ड सभासदी का चुनाव हर एक वार्ड में पूरी तरह जातिगत बन गया है। कई प्रमुख नेताओं की भी नाक का बाल वार्डों का चुनाव बन गया है। यहां राजीव यादव, प्रमोद कुमार गुप्ता, राजकुमार गुप्ता, समाचार पत्र विक्रेता मोनू, आमोद कुमार, तहसील स्टांप वेंडर सत्यभान संखवार, शहाबुद्दीन कुरेशी, मुकेश कुमार गुप्ता ,ऋषि कांत चतुर्वेदी जैसे धाकड़ या तो खुद या उनकी पत्नियां अथवा उनके समर्थक मैदान में हैं ।समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने चुनिंदा वार्डों में ही उम्मीदवार उतारे हैं। पार्टी के चुनाव चिन्हों का भी कहीं कोई खास असर नहीं दिख रहा है, बल्कि चुनाव में जो भी उम्मीदवार जातीय गणित और पैसे की दम पर वोटरों में सैंध लगा लेगा, उसे ही विजय श्री मिल जायेगी।
-वेदव्रत गुप्ता