फोटो:फाइल फोटो अदरक ,इनसेट में सब्जीआढती नवी मोहम्मद
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जसवंतनगर (इटावा)। टमाटर और प्याज की महंगाई को लेकर देश में अक्सर हंगामा . कटता रहता है। इन दोनों पर जब भी महंगाई का तड़का लगता है, तो राजनीतिक गलियारों में भी खलबली मचती है। कई चुनावों में प्याज और टमाटर चुनावी मुद्दे बने हैं, मगर इस बार अदरक के भाव, जिस तरह की तेजी पकड़े हैं, कहीं भी कोई चर्चा नहीं है और लोग चाय मैं उपयोग होने वाले अदरक को लेकर अब माथा पीट रहे हैं।
अदरक का 60 से 70% तक उपयोग चाय में खौलाने और।स्वाद बढाने में होता है। बकाया सब्जियों और दाल में तड़का लगाने में किया जाता है। चाट पकौड़ी विक्रेता भी अदरक का बहुतायत से प्रयोग करते हैं ,मगर इधर अप्रैल महीने से ही बाजारों में अदरक की किल्लत हो गई है ।
देखा जाए तो अक्टूबर-नवंबर और दिसंबर के महीनों में पिछले वर्ष अदरक मारा मारा 20 और ₹30 किलो तक बिक रहा था। जनवरी-फरवरी में यह 50 से लेकर 80 रुपए किलो तक पहुंचा था, मगर जब मार्च महीने में चाय पीने की आदत लोगों की कम हो रही थी, उस समय अदरक के भावों ने तेजी पकड़ना शुरू कर दिया था। अब से 1 महीने पूर्व अदरक पहले डेढ़ सौ रुपए किलो, फिर 200रुपए किलो और आज ढाई सौ ,तीन सौ और चारसौ रुपए किलो तक का भाव से छू रहा है।
सब्जी मंडी के नाजनकार दुकानदार तो यह बताते है कि इस वर्ष अदरक की पैदावार कम हुई है। वह यही प्रचार कर रहे हैं ,मगर जो अदरक के ठोक व्यापारी हैं, उन्हें इसकी हकीकत दिल्ली, कानपुर और मुजफ्फरनगर जैसी मंडियों से जो पता चली है, उसके अनुसार अदरक की पैदावार में कोई कमी नहीं है, हालांकि पिछला स्टॉक खत्म हो चुका है, मगर नया स्टॉक मणिपुर राज्य और आसपास के राज्यों से नहीं आ पा रहा है, क्योंकि अदरक की ज्यादातर पैदावार उन्हीं राज्यों से होती है। मणिपुर से देश भर की अस्सी से नब्बे परसेंट तक अदरक की आवक होती है, मगर वहां पिछले 2 महीने से चल रही हिंसा और आतंकी घटनाओं के कारण अदरक का लदान बिल्कुल बंद हो गया है। वहां के किसान दूसरे राज्यों को अदरक का निर्यात नहीं कर पा रहे हैं। वहां भारी मात्रा में स्टॉक है, गाड़ियों का आवागमन अवरुद्ध होने से लदान नही हो पा रहा है और देश भर की मंडियों में अदरक की कमी हो गई है।
जसवंत नगर के प्रमुख आढतिया मोहम्मद नवी मंसूरी ने बताया कि यह सही है कि इस बार अदरक ने तेजी के मामले में पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इन दिनों जो नया अदरक आना शुरू होता था, वह मंडियों में नहीं आ रहा है बल्कि पुराना ही अदरक जो लोगों के पास थोड़ा बहुत स्टॉक है, वह बिकने को आ रहा है। इससे भाव दिनों दिन बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अदरक जैसी जिंस पर सरकार भी ध्यान नहीं देती क्योंकि इसे सरकार आवश्यक वस्तुओं में शुमार नहीं करती, जबकि यह आम जनता की जरूरत की चीज है।
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*वेदव्रत गुप्ता