Monday , November 25 2024

भगवान के यहां गरीब और अमीर में कोई भेद नहीं: भागवदाचार्य त्रिपाठी

फ़ोटो: खेड़ा बुजुर्ग में कथा सुनाते कथा वाचक भगवान दास त्रिपाठी।
जसवंतनगर(इटावा)। यहां क्षेत्र में  खेडा बुजुर्ग गांव में चल रही मदभागवत कथा में शुक्रवार को कथा व्यास पंडित भगवान दास त्रिपाठी ने रुक्मणी विवाह तथा सुदामा चरित्र का वर्णन करते कहा कि भगवान के दरबार में अमीर और गरीब का भेद नहीं होता है।
    भगवान के बाल सखा सुदामा गरीब थे, लेकिन उनका एक-दूसरे के प्रति अथाह प्रेम और समर्पण था। मानव को भगवान की भक्ति में ऐसा ही समर्पण और प्रेम का भाव लाना चाहिए। तभी इस इस दुनिया में भगवान की प्राप्ति हो सकती है।
     उन्होंने कहा कि सुदामा की पत्नी सुशीला ने अपने पति से कहा था कि तुम अपने मित्र द्वारकाधीश से मिलने जाओ, जिससे इस द्ररिद्रता का निवारण हो सके और उन्होने पडोस से तीन मुठ्ठी चावल भेंट स्वरूप अर्पित करने के लिये दिये थे। असहवेदना और अधिक परिश्रम करके सुदामा श्री कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी पहुंचे। जहां तीन मुठी चावल की भैंट श्री कृष्ण ने अथाह प्रेम एवं ममता पूर्ण स्नेह से अंगीकार कर दो मुठी बड़े ही स्वाद से खाने लगे, शेष एक मुठी  चावल के लिये  जैसे ही उन्होंने हाथ बढाया, तभी  रुक्मणी  ने अपने लिये भी प्रसाद स्वरूप याचना की, जिसके बदले में श्रीकृष्ण ने सुदामा को दरिद्रता दूर कर धनवान बना दिया।
  कथा व्यास ने रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई आगे की कथा का वाचन करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण से प्रेम देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मिणी जी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण की साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। रुक्मणी की भगवान के प्रति लगन, आस्था और उनकी इच्छा के चलते भगवान ने उनका वरण किया।
   इस कथा में परीक्षित की भूमिका में पंडित सत्यनारायण दुबे के अलावा रामनरेश शर्मा, प्रदीप पांडे ,विजय पांडे , आदि शामिल रहे।
*वेदव्रत गुप्ता