भाई-बहनों का रिश्ता बहुत अटूट होता है। वह एक दूसरे के दोस्त होते हैं, साथ ही बड़े भाई या बहन अपने से छोटे के गार्जियन भी होते हैं। जब परिवार में छोटी बहन आती है, जो बड़े भाई या बहन को उसकी देखरेख की जिम्मेदारी मिल जाती है। छोटी बहन को संभालना, घर से बाहर जाने पर उसकी निगरानी करना, उसे पढ़ाना, उनके साथ खेलना आदि बड़े भाई या बहन का रोज का कार्य बन जाता है। बहनें सहेलियां बन जाती हैं तो वहीं भाई के लिए जिम्मेदारी बन जाती हैं। लेकिन कई बार छोटे होने के कारण अधिक लाड प्यार में बेटी ज्यादा शरारती हो जाती है। जिद्दी और अपनी मनमर्जी की करने लगते हैं। ऐसे में माता पिता से ज्यादा बड़े भाई या बड़ी बहन की जिम्मेदारी है कि वह अपनी शरारती और नटखट छोटी बहन को बिगड़ने से बचाएं और उनके व्यवहार में सुधार करें। छोटी बहन को लाड़ देने के साथ ही उन्हें अनुशासन सिखाने का काम भी बड़े भाई या बहन का ही होता है।
छोटी बहन को समझाएं
बच्चे कुछ गलत करें या जरूरत से अधिक शरारत करें तो उन्हें समझाना चाहिए कि उनका यह बर्ताव गलत है। शरारतों पर डांटने मात्र से बच्चे को उसकी गलती पता नहीं चलती। गलत और सही के बारे में छोटी बहन को सिखाएं। उन्हें बताएं कि हर बात के लिए जिद्द करना, गुस्सा करना गलत बात होती है। प्यार से समझाने पर वह अनुशासन सीखेंगे।