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24 घंटे बाद DGP को प्रयागराज छोड़ने की मिली परमिशन

 

पंकज शाक्य

*प्रयागराज-* मैनपुरी में दो साल पहले जवाहर नवोदय विद्यालय में हुई एक नाबालिग छात्रा की हत्या मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में लगातार दूसरे दिन गुरुवार को उत्तर प्रदेश के DGP मुकुल गोयल की पेशी हुई। तेज बारिश के बीच DGP हाईकोर्ट पहुंचे। सुनवाई की शुरुआत में मुकुल गोयल ने हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी को दोषी अफसरों पर हुई कार्रवाई की जानकारी दी। कहा, तत्कालीन एएसपी ओम प्रकाश सिंह और भदोही में तैनात सीओ प्रयांक जैन को निलंबित कर दिया गया है। ओम प्रकाश सिंह वर्तमान में एटा में तैनात हैं।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने डीजीपी मुकुल गोयल को प्रयागराज से बाहर जाने की इजाजत दे दी। डीजीपी मुकुल करीब 24 घंटे प्रयागराज में रहे। उन्हें बुधवार को कोर्ट ने प्रयागराज न छोड़ने की सख्त हिदायत दी थी।कोर्ट ने डीजीपी को निष्पक्ष जांच के आदेश दिए हैं। यह भी कहा कि दो माह में मामले की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपें।
कोर्ट ने इस दौरान एक अहम टिप्पणी भी की। कहा, पुलिस को प्रशिक्षण देने की जरुरत है। अधिकांश विवेचना कांस्टेबल करता है, दरोगा कभी कभी जाता है। निष्पक्ष विवेना न होने से सजा का रेट 6.5 फीसदी है। विदेशों में अपराध में सजा की दर 85% है।

*बुधवार को कोर्ट ने DGP से पढ़वाई थी FIR*

इससे पहले बुधवार को भी DGP हाईकोर्ट में पेश हुए थे। तब कोर्ट ने छात्रा की हत्या से जुड़े कई सवाल किए थे। कोर्ट ने डीजीपी से FIR की कॉपी अपने सामने पढ़वाई और जमकर फटकार लगाई। इस पर डीजीपी के माथे पर पसीना आ गया।
हाईकोर्ट ने डीजीपी को एसपी मैनपुरी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि एसपी मैनपुरी को हटाएं या जबरन रिटायर किया जाए। कार्रवाई नहीं की गई तो कड़े कदम उठाए जाएंगे।
कोर्ट ने यह भी कहा, हमें खुद बताना पड़ रहा है कि इस मसले में अब तक क्या-क्या हुआ है। अभिलेखों को अच्छी तरह से देख लीजिए और पूरा मामला समझ लीजिए। इसके बाद कल सुबह 10 बजे पूरी तैयारी के साथ कोर्ट के सामने उपस्थित हों। इस मामले की सुनवाई कल सुबह यानी गुरुवार को 10 बजे होगी और तब तक आप प्रयागराज नहीं छोड़ सकते। कोर्ट की नाराजगी के बाद शासन ने तत्कालीन एएसपी ओम प्रकाश सिंह और सीओ प्रयांक जैन को निलंबित कर दिया। अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने दोनों पीपीएस अधिकारियों के निलंबन की पुष्टि की।

*इस तरह कोर्ट में हुए सवाल-जवाब*

यह आदेश कार्यवाहक चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस एके ओझा की डबल बेंच ने महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका पर दिया। सुनवाई की शुरुआत में छात्रा की फांसी के बाद पंचनामे की वीडियो रिकार्डिंग देखी। इसके बाद कोर्ट ने डीजीपी से पूछा कि किसी के भी खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज होने पर पहला काम क्या करते हैं? डीजीपी ने जवाब दिया कि गिरफ्तारी। फिर कोर्ट ने पूछा कि इतने गंभीर मामले में पुलिस ने आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया? क्या आपने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ी है? डीजीपी का जवाब मिला नहीं।
कोर्ट ने कहा, मैं आपको बताता हूं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नाबालिग के कपड़ों पर सीमेन पाया गया है। उसके सिर पर चोट के निशान थे। इसके बाद भी 3 महीने बाद अभियुक्तों का केवल बयान ही लिया गया। ऐसा क्यों? इस पर डीजीपी मुकुल गोयल ने कहा कि माइ लॉर्ड फिर से एसआईटी का गठन कर देते हैं।
डीजीपी मुकुल गोयल के इस जवाब पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जाहिर की और कहा कि 3 साल में पूर्व में गठित एसआईटी ने क्या किया? अब एक और एसआईटी के गठन से क्या होगा? किस पर विश्वास किया जाए? कोर्ट ने पूछा, आपने तीन सालों में किसके खिलाफ कार्रवाई की।

*स्कूल में फांसी पर लटकती मिली थी नाबालिग*

16 सितंबर 2019 को 16 वर्षीय एक छात्रा अपने जवाहर नवोदय स्कूल में फांसी पर लटकती मिली थी। पुलिस ने शुरू में दावा किया था कि यह आत्महत्या का मामला है। दूसरी ओर उसकी मां ने आरोप लगाया था कि उसे परेशान किया गया, पीटा गया और जब वह मर गई तो उसे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। मृतका के पिता ने सीएम योगी से जांच की गुहार लगाई तो एसआईटी ने जांच की थी। 24 अगस्त 2021 को एसआईटी टीम ने केस डायरी हाईकोर्ट में रखी।
टीम ने कहा, घटना की एफआईआर 16 सितंबर 2019 को दर्ज की गई थी। हालांकि आरोपी से पूछताछ तुरंत या उचित समय के भीतर नहीं की गई। आरोपी से पूछताछ घटना के तीन माह बाद की गई। कोर्ट में मौजूद जांच अधिकारी आरोपी से पूछताछ में हुई देरी के बारे में कुछ नहीं बता सके थे। कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि यह अंतराल आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोपों के बावजूद हुआ, जोकि गंभीर चूक है। इसके बाद कोर्ट ने डीजीपी को तलब किया था।