पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के प्रयोग, इंडिया के समर्थन और अखिलेश यादव के परिवार की एकजुटता ने घोसी में सपा की जीत की राह आसान कर दी। आजमगढ़ और रामपुर का गढ़ ढहने के बाद घोसी की इस जीत ने जहां समाजवादियों का मनोबल बढ़ाया है, वहीं इंडिया के घटक दलों को मजबूती के साथ ऐसे ही आगे बढ़ने का संदेश भी दिया है। बसपा की चुनाव से दूरी, भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह के दलबदल से नाराजगी और पीडीए के नारे के बीच सपा का क्षत्रिय प्रत्याशी उतारना भी उसके लिए मुफीद साबित हुआ।
जून में इंडिया गठबंधन की घोषणा के बाद यूपी में यह पहला चुनाव था। खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव से पहले यह आखिरी उपचुनाव भी था। अब देश और प्रदेश सीधे लोकसभा चुनाव में ही जाएगा। जून 2022 में आजमगढ़ और रामपुर में हुए लोकसभा उप चुनाव में भाजपा ने सपा को करारी शिकस्त दी थी। ये दोनों ही क्षेत्र समाजवादियों के किले माने जाते थे। उसके बाद दिसंबर 2022 में विधानसभा उप चुनाव में रामपुर विधानसभा सीट भी सपा के हाथ से चली गई। यह सीट सपा नेता आजम खां को हेट स्पीच मामले में सजा होने से खाली हुई थी। उपचुनाव में यह सीट भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना को मिली। पहली बार यहां से कोई गैर मुस्लिम प्रत्याशी जीता।