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इटावा सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी का असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभय सिंह निकला इंसान के मिलावटी खून के तस्कर गैंग का मास्टरमाइंड

इटावा सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी का असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभय सिंह निकला इंसान के मिलावटी खून के तस्कर गैंग का मास्टरमाइखनऊ में एसटीएफ ने किया गिरफ्तार

एसटीएफ प्रमुख आईजी अमिताभ यश ने गिरफ्तारी की की पुष्टिअ

भय सिंह के साथ उसका तस्कर साथी अभिषेक पाठक भी किया गया गिरफ्तार

100 यूनिट रेड ब्लड सेल्स, 21 से ज्यादा ब्लड बैंकों के कागजात, 2 रक्तदान शिविर बैनर, एक फोर्ड इकोस्पोर्ट कार, सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी का परिचय पत्र, 10.मोबाइल फोन ओर 24 हजार रुपये नकद किये गए बरामद

खून के धंधेबाजों ने बेबस मरीजों की जान से खिलवाड़ किया। खून में नार्मल स्लाइन (ग्लूकोज) मिलाकर खपाया। लखनऊ के आसपास के करीब 200 नर्सिंग होम में धंधेबाजों ने नकली खून का जाल बिछा रखा था।

एसटीएफ ने नकली खून के धंधोबाजों को पकड़ा। इससे लखनऊ के अस्पतालों में सनसनी फैल गई। करीब 200 प्राइवेट अस्पतालों में नकली खून का धंधा चल रहा था। धंधेबाज मरीजों को बिना डोनर खून उपलब्ध कराते थे। अस्पताल के कर्मचारी ऐसे लोगों को चुनते थे जो दूसरे जिलों के होते थे। इनमें पास डोनर नहीं होते थे। इसका फायदा दलाल उठाते थे। बिना डोनर खून उपलब्ध कराने के एवज में सात से आठ हजार रुपये एक यूनिट के वसूलते थे।

शहर किनारे बने अस्पताल थे निशाने पर

धंधेबाजों के निशाने पर शहर के किनारे बने अस्पताल थे। सीतापुर रोड, बाराबंकी, रायबरेली, कानपुर रोड और हरदोई रोड के अस्पतालों में सबसे ज्यादा खून की खपत थी। सड़क हादसे में घायलों को खून चढ़ाने की अधिक जरूरत पड़ती थी। हादसा होने के बाद दलाल सक्रिय हो जाते थे। जिस अस्पताल में घायल भर्ती होते थे, वहां दलाल डेरा जमा लेते थे।

मिलावटी खून मरीजों के लिए जानलेवा

मिलावटी खून मरीज के बेहद ही खतरनाक और जानलेवा होता है। इससे मरीज की मौत भी हो सकती है। मिलावटी खून मरीज को चढ़ाने से गुर्दा, दिल और यकृत से संबंधित गंभीर बीमारी हो सकती है। खून में कोई भी बाहरी तत्व मिलाया गया तो उसके जहरीला होने या उसमे मौजूद विभिन्न तत्वों के प्रभावित होने का खतरा होता है। अगर स्लाइन वाटर की एक बूंद भी मिला दें, तो वह खतरनाक होता है।

हीमोग्लोबिन में शुरू हो जाती है गिरावट

मिलावटी खून का असर कुछ लोगों में तत्काल होता है तो कुछ लोगों में कुछ माह भर बाद नजर आता है। स्लाइन वाटर या किसी अन्य तरह के मिलावट से बना खून अगर मरीज को चढ़ाया जाता है तो उसके हाथ-पैर या पूरे शरीर में सूजन आ सकती है। खुजली हो सकती है। कई बार पाचन क्रिया प्रभावित हो जाती है। धीरे-धीरे शरीर में पहले से मौजूद ब्लड भी संक्रमित होने लगता है। हीमोग्लोबिन तेजी से गिरता है। यही वजह है कि एक बार मिलावटी खून चढ़ जाने से मरीज के शरीर से ब्लड बनने की प्रक्रिया कम हो जाती है।