सनातन धर्म में भाद्रपद अमावस्या विशेष मानी गई है। भादो महीने में पड़ने वाली अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या, कुशोत्पतिनी अमावस्या, पिठोरी अमावस्या, पिठोरी अमावस या भाद्रपद अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
अमावस्या तिथि के दिन गंगा स्नान व दान-धर्म, तर्पण आदि की खास अहमियत होती है। वही इस बार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 14 सितंबर, बृहस्पतिवार को प्रातः 04 बजकर 48 मिनट से आरंभ होगी तथा अगले दिन 15 सितंबर, शुक्रवार को प्रातः 07 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान्य होने की वजह से भाद्रपद अमावस्या 14 सितंबर 2023, बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी।
भाद्रपद अमावस्या पूजन का प्रदोष व्रत- अमावस्या तिथि के दिन प्रदोष काल में पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ माना गया है। पिठोरी व्रत प्रदोष मुहूर्त 14 सितंबर को शाम 06 बजकर 28 मिनट से रात 08 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। शुभ मुहूर्त की अवधि 02 घंटे 20 मिनट की है।
भादो अमावस्या स्नान-दान के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:32 ए एम से 05:19 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04:56 ए एम से 06:05 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:52 ए एम से 12:41 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:20 पी एम से 03:10 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:28 पी एम से 06:51 पी एम
भाद्रपद अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए-
शास्त्रों के मुताबिक, अमावस तिथि के दिन पवित्र नदी में स्नान करने, पिंडदान व तर्पण आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितृदोष से मुक्ति प्राप्त होती है।
भाद्रपद अमावस्या पूजन विधि:-
अमावस्या के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के पश्चात् सूर्य को अर्घ्य दें।
भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक करें।
इस दिन दोपहर के समय काला तिल, कुश और फूल डालकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करें।