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गुरु गोरक्षनाथ को कल श्रद्धालु चढ़ाएंगे आस्था की खिचड़ी, मेले का उठाएंगे आनंद

मकर संक्रांति (खिचड़ी) सोमवार को मनाई जाएगी। श्रद्धालु इस दिन पवित्र राप्ती नदी सहित आसपास की अन्य पवित्र नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाएंगे। साथ ही भगवान भाष्कर की पूजा कर दान-पुण्य करेंगे। वहीं, लाखों की संख्या में श्रद्धालु गुरु गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाएंगे।

वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, इस दिन पौष शुक्ल पंचमी है। शतभिषा नक्षत्र और चंद्रमा की स्थिति कुंभ राशि पर है। इसी दिन सूर्य धनु राशि का परित्याग कर सुबह नौ बजकर 13 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन अमृत नामक औदायिक योग बन रहा है। अमृत योग में मकर संक्रांति होने से इस दिन किया गया दान, स्नान और समस्त धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत पुण्य फलदायक रहेगा। इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी होगा है। हेमंत ऋतु की समाप्ति और शिशिर ऋतु का आगमन होगा। खरमास समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।

मकर संक्रांति का महत्व
पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अनुसार, हिंदू धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देव कहा गया है जो प्रतिदिन साक्षात दर्शन देकर सारे जगत में ऊर्जा का संचार करते हैं। ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का स्वामी माना जाता है। सूर्य अपनी नियमित गति से राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य के इसी राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। जिनमें से मकर संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण है।

सूर्य को ऐसे दें अर्घ्य
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, मकर संक्रांति पुण्यकाल में पवित्र नदियों में स्नान कर तांबे के लोटे में शुद्ध जल लेकर उसमें रोली, अक्षत, लाल पुष्प, तिल और गुड़ मिलाकर पूर्वा दिशा की ओर मुख करके खड़े हो जाएं, दोनों हाथों को ऊपर उठाकर सूर्यदेव को श्रद्धापूर्वक गायत्री मंत्र या ‘ॐ घृणि सूर्याय नम: श्री सूर्य नारायणाय अर्घ्यं समर्पयामि’ मंत्र का जाप कर अर्घ्य दें।

सामाजिक समरसता का केंद्र है गोरखनाथ मंदिर
गोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है जहां जाति, पंथ, मजहब की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं। इसके परिसर में क्या हिंदू, क्या मुसलमान, सबकी दुकानें हैं।

खिचड़ी मेले की तैयारियां पूरी
मकर संक्रांति के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में लगने वाले परंपरागत खिचड़ी मेले की तैयारी पूरी हो गई है। गुरु गोरक्षनाथ के चरणों में खिचड़ी चढ़ाने के लिए मंदिर प्रबंधन की ओर से हमेशा की तरह पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। इसके लिए बाकायदा गेट से लेकर गुरु गोरक्षनाथ के विग्रह तक बैरिकेडिंग की गई है।