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‘इनसैट-3डीएस’ उपग्रह श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने को तैयार, 17 फरवरी की शाम प्रक्षेपण, जानें सब कुछ

इसरो ने श्रीहरिकोटा लॉन्चिंग क्षेत्र पर ‘इनसैट-3डीएस’ को तैनात कर दिया है। 17 फरवरी को शाम 5:30 बजे इस उपग्रह को प्रक्षेपित किया जाएगा। गौरतलब है कि इस उद्देश्य मौसम विज्ञान और आपदा चेतवानी की जानकारी उपलब्ध कराना है। यह पूरी तरह से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है। दूसरी ओर, भारत के अंतरिक्ष नियामक इन-स्पेस ने गुरुवार को कहा कि अगले 14 महीनों में करीब 30 उपग्रहों के प्रक्षेपण की तैयारी चल रही है। इसमें सात मिशन गगनयान से जुड़े होंगे।

इसरो के नए रॉकेट एसएसएलवी (स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) के अलावा वारहार्स पीएसएलवी को भी लॉन्च किया जाएगा, जिसे एक उद्योग संघ ने विकसित किया है। अंतरिक्ष नियामक ने 2023 की अंतिम तिमाही से लेकर अगले वित्त वर्ष तक प्रस्तावित योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सात स्पेस लॉन्च निजी स्टार्टअप स्काईरूट और अग्निकुल की तरफ से किए जाएंगे।

पूर्वानुमानों को सटीक बनाने पर जोर
चेन्नई स्थित अग्निकुल कॉसमॉस अगले दो महीनों के भीतर अपना पहला 3-डी प्रिंटेड रॉकेट अग्निबाण-एसओआरटीईडी लॉन्च करने वाला है। अग्निबाण रॉकेट की पहली उड़ान एक उप-कक्षीय मिशन होगी। इसी वित्तीय वर्ष में होने वाले अन्य प्रक्षेपणों में जीएसएलवी-एफ14 को लॉन्च करना भी शामिल है जिसके जरिये इनसैट-3डीएस उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया जाएगा। जीएसएलवी-एफ14 से मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और संबंधित मौसम संबंधी सेवाओं से जुड़े पूर्वानुमानों को और अधिक सटीक बनाया जा सकेगा। वहीं, विकास क्रम में एसएसएलवी की तीसरी उड़ान भी मार्च तक होने की उम्मीद है जिसमें इसरो के एक प्राथमिक उपग्रह और दो अन्य पेलोड, स्पेस रिक्शा और आआईटीएमसैट को भेजा जाएगा।

‘विक्रम’ के अगले वर्ष लॉन्च की उम्मीद
अगले वर्ष एयरोस्पेस की तरफ से स्वदेश निर्मित रॉकेट विक्रम 1-1 के चार लॉन्च की भी उम्मीद है, जबकि अग्निकुल कॉसमॉस ने अग्निबाण के दो लॉन्च की योजना बनाई है। 2024-25 में इसरो की पीएसएलवी और जीएसएलवी के तीन-तीन मिशन और परीक्षण वाहन सहित गगनयान परियोजना से जुड़े सात लॉन्च की तैयारी है। इसरो की वाणिज्यिक शाखा, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा पीएसएलवी के चार प्रक्षेपण, एक एलवीएम-3 मिशन और एसएसएलवी के दो प्रक्षेपण किए जाने की उम्मीद है।