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शुगर-कोलेस्ट्रॉल दोनों को कंट्रोल कर सकती है ये आसानी से उपलब्ध औषधि, आप करते हैं सेवन?

लाइफस्टाइल-आहार में गड़बड़ी के कारण इन दिनों जिन बीमारियों का खतरा सबसे अधिक देखा जा रहा है, डायबिटीज और हृदय रोग उनमें प्रमुख हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वयस्क हों या बुजुर्ग सभी को इन स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान देखा जा रहा है। ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से डायबिटीज और ब्लड में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से हृदय रोगों की समस्या का जोखिम हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को इसे कंट्रोल में रखने की सलाह देते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लाइफस्टाइल और आहार में कुछ प्रकार का बदलाव करके आप लाभ पा सकते हैं। स्वस्थ और पौष्टिक चीजों का सेवन, नियमित व्यायाम, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकने में सहायक है। इसके अलावा कुछ प्रकार की औषधियों के सेवन से भी आप इसे नियंत्रित रख सकते हैं।

तुलसी की पत्तियों के लाभ

अध्ययनों से पता चलता है कि तुलसी की पत्तियों में रोगाणुरोधी (जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटिफंगल) और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। तुलसी की पत्तियां एडाप्टोजेन्स से भरपूर होती हैं जो आपके शरीर में तनाव के स्तर को कम करने में मदद करती हैं। यह आपके तंत्रिका तंत्र को आराम देने और रक्त परिसंचरण को बढ़ाने में भी मददगार हैं। यह इंद्रियों को शांत करने के अलावा ब्लड शुगर के स्तर और कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करने में सहायक मानी जाती है।

ब्लड शुगर को रख सकते हैं कंट्रोल

अध्ययनकर्ताओं ने पाया तुलसी की पत्तियों का रोजाना सेवन करने से ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल रखा जा सकता है। तुलसी मेटाबॉजिल्म वाले वयस्कों में फास्टिंग ग्लूकोज को कम करने में फायदेमंद हो सकती है। शुगर को बढ़ने से रोकने के साथ कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी इस औषधि के लाभ देखे गए हैं। ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने से हार्ट की दिक्कतों को भी कम करने में मदद मिल सकती है।

कोलेस्ट्रॉल रहता है कंट्रोल

आयुर्वेदिक चिकित्सा में सबसे प्रचीन और प्रभावी औषधीय पौधों में तुलसी का विशेष स्थान है। इसमें एडाप्टोजेन पाया जाता है जो हृदय रोग, मधुमेह, सूजन संबंधी बीमारियों को करने के साथ प्रतिरक्षा विकारों से भी बचाती है। कोलेस्ट्रॉल का स्तर कंट्रोल रहने से धमनियों में रक्त का प्रवाह ठीक बना रहता है जिससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की स्थिति को हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याओं का भी कारक माना जाता है।