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बचपन में टीके की दो खुराक जीवनभर के लिए इन गंभीर बीमारियों से दे सकती है सुरक्षा

मीसल्स यानी खसरा बच्चों में होने वाला गंभीर संक्रामक रोग है, जिसके मामले एक बार फिर से वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते देखे जा रहे हैं। कई देशों ने टीकाकरण को बढ़ावा देकर इस संक्रामक रोग को नियंत्रित कर लिया था हालांकि इसका वैश्विक खतरा एक बार फिर से बढ़ता देखा जा रहा है। भारत में भी खसरा से प्रभावित बच्चों की संख्या में उछाल दर्ज किया गया है। रिपोर्ट्स से पता चलता है कोरोना महामारी के दौरान बड़ी संख्या में बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाया था, जिसकी वजह से खसरा की बीमारी एक बार फिर से बच्चों को अपना शिकार बना रही है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी बच्चों का खसरा के लिए टीकाकरण कराना जरूरी है, ये उनमें भविष्य में खसरा के अलावा भी कई गंभीर बीमारियों के खतरे को कम करने में सहायक हो सकती है। लोगों को खसरा बीमारी के बारे में जागरूक करने और टीकाकरण से इसे कैसे रोका जा सकता है इस बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 16 मार्च को खसरा टीकाकरण दिवस मनाया जाता है। खसरे का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है लेकिन इस बीमारी से बचाने और गंभीर रोगों के खतरे को कम करने में वैक्सीनेशन की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

भारत में बच्चे हो रहे हैं खसरा का शिकार

खसरा मुख्यरूप से बच्चों में होने वाली संक्रामक बीमारी है, जिसके कारण गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं बढ़ सकती हैं। भारत ने पिछले एक-दो दशकों में टीकाकरण को बढ़ावा देकर इस रोग के जोखिमों को काफी कम कर दिया गया था। हालांकि हालिया रिपोर्ट्स में मध्य प्रदेश के मैहर जिले में खसरे से दो बच्चों की मौत और 15 से अधिक लोगों में संक्रमण की खबरें हैं।

साल 2017 से 2021 के बीच भारत में खसरे के मामलों में 62% की गिरावट आई, इस दौरान प्रति दस लाख जनसंख्या पर 10.4 से घटकर 4 मामले रह गए थे। हालांकि महामारी के दौरान राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान पर भी असर देखा गया जिसमें बड़ी संख्या में बच्चे खसरे के टीके से चूक गए। लिहाजा देश के कई हिस्सों से पिछले दिनों बच्चों में खसरा के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं।

एमएमआर वैक्सीन का टीकाकरण

मीसल्स, मम्प्स और रूबेला (एमएमआर) वैक्सीन, बच्चों के नियमित टीकाकरण का हिस्सा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों को एमएमआर वैक्सीन के दो टीके लगाए जाने चाहिए। पहली खुराक 12 से 15 महीने की उम्र में और दूसरी खुराक 4 से 6 साल की उम्र में दी जानी चाहिए। किशोरों और वयस्कों को भी अपने एमएमआर टीकाकरण के बारे में अपडेट रहना चाहिए।

कितने असरदार हैं टीके?

अध्ययनकर्ता बताते हैं, एमएमआर टीके बहुत सुरक्षित और प्रभावी हैं। वैक्सीन की दो खुराक खसरे को रोकने में लगभग 97% प्रभावी पाई गई हैं, जबकि एक खुराक लगभग 93% तक सुरक्षा दे सकती है। 1963 में खसरा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने से पहले, संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल अनुमानित 3 से 4 मिलियन (30-40 लाख) लोगों को खसरा होता था। इनमें से लगभग 400 से 500 की मृत्यु हो जाती थी। खसरे के टीकाकरण के बाद इस दिशा में काफी हद तक सुधार किया गया है।