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इन तरीकों से अपनी त्वचा के मुताबिक करें सही सनस्क्रीन का चयन, तेज धूप और गर्मी का नहीं होगा असर

सूरज की हानिकारक किरणों ने धरती तप रही है। तेज गर्मी के साथ लू ने लोगों को परेशान कर रखा है। हालांकि तेज कड़क धूप में भी जरूरी कामों के लिए घर से निकलना जरूरी होता ही है। ऐसे में त्वचा को एक्स्ट्रा पोषण और सुरक्षा कवच देना जरूरी हो जाता है। पूरी बांहों के कॉटन के कपड़ों से लेकर सनग्लासेस जैसे साधन सहायता करते हैं लेकिन सूरज की हानिकारक किरणों से बचाव में कारगर होता है ‘सनस्क्रीन’। एक अच्छा सनस्क्रीन त्वचा पर सुरक्षा की परत चढ़ाता है। इससे घातक किरणों से तो त्वचा सुरक्षित होती ही है, त्वचा के लिए जरूरी नमी और पोषण भी मिल सकता है। लेकिन क्या कोई भी सनस्क्रीन त्वचा पर अप्लाई की जा सकती है? क्या सनस्क्रीन को लेकर भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है? कैसे चुनें सही सनस्क्रीन? जानिए गर्मी में त्वचा को सुरक्षित रखने वाली सनस्क्रीन से जुड़े इन सवालों के जवाब।

सनस्क्रीन क्यों लगाना चाहिए?

केवल सूरज की हानिकारक किरणों के प्रभाव से त्वचा को ऊपरी तौर पर बचाने के लिए ही नहीं, सनस्क्रीन कई गम्भीर बीमारियों से भी बचाव में सक्षम होता है। यही कारण है कि गर्मी ही नहीं बल्कि हर मौसम में धूप में निकलते समय सनस्क्रीन लगाने की सलाह विशेषज्ञों द्वारा दी जाती है। यहां तक कि घर पर रहते हुए भी सनस्क्रीन लगाए रखने को कहा जाता है।

सनस्क्रीन के इस्तेमाल में इन बातों का रखें ख्याल

-सनस्क्रीन का उपयोग समय सीमा के हिसाब से किया जाना चाहिए। अगर आप 4 घंटे से ज्यादा समय के लिए घर से बाहर हैं तो आपको कम से कम 2 बार सनस्क्रीन की परत त्वचा पर अप्लाई करनी होगी।

-बाजार में कई तरह के सनस्क्रीन उपलब्ध होंगे। इसमें लोशन, क्रीम से लेकर पिल्स तक उपलब्ध हैं। खास बात यह है कि आपकी त्वचा के हिसाब से आप पर कौन सा सनस्क्रीन सूट करता है। लोशन भी वॉटर और ऑइल बेस्ड दोनों तरह के हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि जब सनस्क्रीन खरीद रहे हों तो अपनी त्वचा के प्रकार को ध्यान में रखें। उदाहरण के लिए ऑइली त्वचा के लिए ऑइल बेस्ड लोशन ठीक नहीं होगा।

-एसपीएफ यानी सन प्रोटेक्टिंग फैक्टर का 30 या इससे अधिक होना महत्वपूर्ण है। जितना अधिक एसपीएफ उतनी ज्यादा सुरक्षा। उदाहरण के लिए, एसपीएफ 15 वाला सनस्क्रीन करीब 93 प्रतिशत यूवीबी किरणों को त्वचा तक पहुंचने से रोक पाता है। जबकि एसपीएफ 30 का प्रयोग 97 प्रतिशत, एसपीएफ 50 का प्रयोग 98 प्रतिशत और एसपीएफ 100 का प्रयोग 99 प्रतिशत किरणों को फिल्टर कर पाता है। अर्थात 100 प्रतिशत सुरक्षा की गारंटी तो कोई भी नही देता।

-अगर आप बीच या किसी अन्य पानी वाले जगह पर जा रहे हैं और वाटर रेजिस्टेंस सनस्क्रीन का उपयोग करने वाले हैं तो यह ध्यान रखें कि इस तरह के सनस्क्रीन वॉटरप्रूफ नहीं होते। वॉटर रेजिस्टेंस सनस्क्रीन का मतलब होता है पानी में रहने या पसीना आने की सूरत में ज्यादा से ज्यादा 1 घंटे तक उसका असर बने रहना। इसलिए ऐसी स्थिति में हर 2 घंटे में सनस्क्रीन का उपयोग करना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।