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उपराष्ट्रपति हैरिस ने डोनाल्ड ट्रंप पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- वह लोकतंत्र को तानाशाही में बदलना चाहते हैं

अमेरिका में पांच नवंबर को चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं। यहां राष्ट्रपति पद के लिए दो नेताओं जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ा मुकाबला है। दोनों ही प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे पर हमलावर हैं। इस बीच, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने एक बार फिर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार ट्रंप अमेरिकी लोकतंत्र को तानाशाही में बदल देंगे।

एएएनएसपीआई किया लॉन्च
हैरिस ने लास वेगास में बाइडन-हैरिस के लिए एक एएएनएसपीआई (AANHPI) लॉन्च किया है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जो देश भर में एशियाई अमेरिकी, मूल हवाईयन और प्रशांत द्वीप समूह (एएनएसपीआई) मतदाताओं, समुदायों और नेताओं को एक साथ एक मंच पर लाएगा।

इस दौरान उन्होंने कहा, ‘डोनाल्ड ट्रंप हमारे लोकतंत्र को तानाशाही में बदलना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मूल रूप से घोषणा की है कि वह इससे बच सकते हैं।’

ट्रंप लगाए गंभीर आरोप
हैरिस ने आरोप लगाया कि ट्रंप के सलाहकारों ने 900 पन्नों का एक खाका तैयार किया है। इसे प्रोजेक्ट 2025 बताया जा रहा है। इसमें दूसरे कार्यकाल में उनके द्वारा की जाने वाली अन्य सभी योजनाओं का ब्योरा है, जिसमें सामाजिक सुरक्षा में कटौती, इंसुलिन पर 35 अमेरिकी डॉलर की सीमा को हटाना, शिक्षा विभाग और हेड स्टार्ट जैसे कार्यक्रमों को समाप्त करना शामिल है।

उन्होंने आगे कहा, ‘प्रोजेक्ट 2025 में गर्भनिरोधक तक पहुंच को सीमित करने और संसद के एक अधिनियम के साथ या उसके बिना देश भर में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने की योजना की रूपरेखा तैयार की गई है। यदि इसे लागू किया जाता है, तो यह योजना डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रजनन स्वतंत्रता पर नया हमला होगा।’

महिलाओं को पता है उनका हित
उपराष्ट्रपति ने लोगों की तालियों की गूंज के बीच कहा, ‘कोई गलती न करें, अगर ट्रंप को मौका मिलता है तो वह हर एक राज्य में गर्भपात को गैरकानूनी घोषित करने के लिए राष्ट्रीय गर्भपात प्रतिबंध पर हस्ताक्षर करेंगे। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम ऐसा नहीं होने देंगे क्योंकि हम महिलाओं पर भरोसा करते हैं। हम जानते हैं कि महिलाएं जानती हैं कि उनके अपने हित में क्या है और उन्हें सरकार द्वारा यह बताए जाने की जरूरत नहीं है कि उन्हें अपने शरीर के साथ क्या करना है।’

अपनी मां से जुड़ा किस्सा बताया
उन्होंने कहा, ‘मेरी मां उस समय भारत से अमेरिका आई थीं, जब मैं महज 19 साल की थीं। वह और मेरे पिता नागरिक अधिकार आंदोलन में सक्रिय होने के दौरान मिले थे। वास्तव में, जब मैं छोटी थी तो मेरे माता-पिता मुझे स्ट्रोलर में मार्च में ले जाते थे। मेरी मां के जीवन में दो लक्ष्य थे। एक अपनी दो बेटियों ‘मैं और मेरी बहन माया’ को बड़ा करना और दूसरा स्तन कैंसर को समाप्त करना। वह एक स्तन कैंसर शोधकर्ता थीं। अगर मैं सच कहूं तो मेरी मां ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी किसी की अनुमति नहीं मांगी।’