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भारत के बाहर पहली बार इस देश में खुला जन औषधि केंद्र, MEA जयशंकर बोले- PM मोदी ने किया था वादा

अब दूसरे देश में भी जन औषधि केंद्र से लोग सस्ती दवाएं ले सकते हैं। दरअसल, मॉरीशस में पहला जन औषधि केंद्र खुला है। यह देश के बाहर खुला पहला जन औषधि केंद्र है। विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने इसका उद्घाटन किया। इस दौरान यहां के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ भी मौजूद रहे।

इस साल की शुरुआत में किया था वादा
जयशंकर 16 से 17 जून तक दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस में थे। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा कि इस औषधि केन्द्र की स्थापना का वादा पीएम मोदी ने इस साल की शुरुआत में किया था, जिसे अब पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत-मॉरीशस स्वास्थ्य साझेदारी परियोजना के अंतर्गत भारत में निर्मित और सस्ती दवाओं की आपूर्ति की जाएगी ताकि जन स्वास्थ्य और लोगों की खुशहाली को बढ़ावा दिया जा सके।

विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान साझा किया। कहा- जयशंकर ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ के साथ संयुक्त रूप से भारत के पहले विदेशी जन औषधि केंद्र का उद्घाटन किया, जो दोनों देशों के बीच करीबी सहयोग का सबूत है, खासकर स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण क्षेत्र में।

मेडिक्लिनिक परियोजना का भी उद्घाटन किया
इससे पहले विदेश मंत्री डॉक्टर जयशंकर ने मॉरीशस के ग्रैंड बोआ क्षेत्र में भारत की आर्थिक सहायता से बनी मेडिक्लिनिक परियोजना का भी उद्घाटन किया और इसे आपसी मित्रता की नवीनतम अभिव्यक्ति करार दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि मेडिक्लिनिक खुलने से ग्रैंड बोआ क्षेत्र में 16 हजार लोगों को विशेषज्ञ उपचार सेवा मिलेगी। इस पर गर्व महसूस करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य हम सभी के लिए प्राथमिकता का क्षेत्र है और इसके प्रति हम सब जागरूक हैं।

किफायती आधार पर उपलब्ध होंगी दवाएं
उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य मंत्री से यह सुनने को मिला कि जन औषधि केंद्र चालू हो गया है और वास्तव में मॉरीशस सरकार हमसे प्रमुख दवाओं की सूची या आपूर्ति मांगेगी, प्रमुख दवाएं जिनका उपयोग आम नागरिक नियमित रूप से करते हैं, जो किफायती आधार पर उपलब्ध होंगी। यह कुछ ऐसा है जिसे मैं स्वास्थ्य के पक्ष में एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि मानता हूं।’

जयशंकर ने कहा कि भारत में नए अस्पताल, नए क्लीनिक, जन औषधि केंद्र, नए मेट्रो और नई सामाजिक आवास परियोजनाएं आ रही हैं तथा भारतीय बच्चों को डिजिटल शिक्षा मिल रही है। उन्होंने कहा, ‘यह स्वाभाविक है कि हमारे विस्तृत परिवार में, हम विदेश को भी साझा करना चाहेंगे और मुझे आज बहुत खुशी है कि मुझे यह देखने का अवसर मिला है।