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‘स्त्री 2’ के लेखक निरेन भट्ट फिल्मों से समाज को देना चाहते हैं संदेश, कहा- कहानियों का है भविष्य

इस वक्त हालिया रिलीज ‘स्त्री 2’ फिल्म काफी धूम मचा रही है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हो चुकी है। फिल्म ने 500 करोड़ रुपये के आंकड़े को भी पार कर लिया है। कलाकारों के अभिनय के अलावा फिल्म की कहानी को भी काफी सराहा जा रहा है। फिल्म के लेखक निरेन भट्ट ने हाल में इस फिल्म को लेकर बात की है। उन्होंने इस फिल्म की कहानी में दिखाया है, कैसे सरकटा प्रगतिशील महिलाओं पर हमले करता है और उन्हें आगे बढ़ने से रोकना चाहता है। इस बीच उन्होंने महिला सशक्तिकरण की वकालत भी की है।

हम सरकटों की दुनिया में रहते हैं- निरेन भट्ट
नीरेन भट्ट ने कहा है कि हम अभी सरकटा की दुनिया में रहते हैं। उन्होंने खलनायक सरकटा के माध्यम से पितृसत्ता का बदसूरत चेहरा उजागर किया है। इसके साथ ही उन्होंने महिला सशक्तिकरण की वकालत भी की है। हालांकि, यह फिल्म उस दौर में आई है, जब महिलाओं के उत्पीड़न की खबरें लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं। इस विंडबना को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा, एक फिल्म कभी भी समाज को नहीं बदल सकती है। फिल्में बातचीत को आगे बढ़ाती हैं। मलयालम सिनेमा के पीछे का अनुभव कई बार बड़े पर्दों पर भी कई बार दिखाया जा चुका है। इस दौरान उन्होंने फिल्मों के जरिए समाज को संदेश देने को लेकर भी बात की।

निरेन भट्ट के लिए फिल्मों के जरिए संदेश देना महत्वपूर्ण
राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर अभिनीत फिल्म ‘स्त्री 2’ की कमाई 500 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई है। हालांकि, लेखकों की जीत उनके द्वारा दिए गए संदेशों को बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचने में शामिल होता है, लेकिन बॉक्स ऑफिस सफलता उनके लिए भी काफी मायने रखती है। निरेन भट्टन ने कहा,“लेखकों को भी फिल्म के बॉक्स-ऑफिस भाग्य की चिंता होती है। अगर कोई फिल्म नहीं चलती, तो उनके भविष्य के प्रोजेक्ट संदेह में पड़ जाते हैं। मेरे लिए संदेश देना महत्वपूर्ण है, लेकिन मैं उपदेश नहीं देना चाहता। मैं इसे व्यंग्य के साथ पेश करना चाहता हूं। बाला आत्म-छवि को लेकर एक व्यंग्य था, भेड़िया में पर्यावरण के बारे में बातें होती हैं और मुंज्या का आखिरी दृश्य एकतरफा प्रेमी न बनने के बारे में था। वहीं, स्त्री 3 महिला सशक्तिकरण की बात करती है।”