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दो बार अतंरिक्ष में जन्मदिन मनाने वाली इस भारतीय मूल की महिला के साहस की कहानी सुन करेंगे सलाम

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण बीते जून माह से स्पेस में फंसी हुई हैं। उनकी 8 दिन की यात्रा 8 महीने में बदल गई है। उम्मीद है कि वह फरवरी माह तक धरती पर वापस लौट आएं। सुनीता विलियम्स तीसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर गई हैं। सुनीता विलियम्स 19 सितंबर को अपना 59वां जन्मदिन मना रही हैं। वह इस बार धरती से लगभग 400 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में अपना जन्मदिन मना रही हैं। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब सुनीता ने अपना जन्मदिन स्पेस पर सेलिब्रेट किया है। आइए जानते हैं भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के बारे में, उनका जीवन परिचय और उपलब्धियां।

सुनीता विलियम्स का जीवन परिचय

सुनीता विलियम्स के पिता का नाम डाॅ. दीपक पांड्या और मां बोनी पांड्या हैं। उनके पिता गुजरात के मेहसाणा जिले के झुलासान में पैदा हुए थे और पेशे से एक न्यूरोएनाटोमिस्ट थे। हालांकि बाद में अमेरिका चले गए और बोनी पांड्या से शादी की।

सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को यूक्लिड, ओहियो में हुआ था। 1987 में उन्होंने अमेरिकी नौसेना अकादमी से फिजिकल साइंस में बैचलर की डिग्री ली। बाद में इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर किया। नासा ज्वाइन करने से पहले सुनीता अमेरिका की नौसेना में काम करती थीं। उन्होंने 30 से अधिक विभिन्न विमानों में 3000 से ज्यादा उड़ान घंटे दर्ज किए थे।

उनके नाम एतिहासिक उपलब्धि दर्ज है। सुनीता साल 2006 और 2012 में दो बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं। इन दोनों मिशनों पर विलियम्स ने अंतरिक्ष पर कुल 322 दिन बिताए, जो अपने आप में रिकॉर्ड है। इसके बाद 6 जून को उन्होंने स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से तीसरी बार उड़ान भरी थी। उन्हें स्पेस पर गए तीन महीने से अधिक वक्त बीत गया है। हालांकि तकनीकी खराबी के कारण वहां फंसी सुनीता विलियम्स की वापसी की उम्मीद फरवरी 2025 तक है।

उपलब्धि

सुनीता विलियम्स को कई देशों की सरकार ने सम्मानित किया है। भारत सरकार ने उन्हें 2008 में पद्मभूषण से सम्मानित किया। वहीं रूस ने मेडल आफ मेरिट इन स्पेस एक्सप्लोरेशन दिया। स्लोवेनिया ने गोल्डन आर्डर ऑफ मेरिट सम्मान से नवाजा। इसके अलावा नासा स्पेसफ्लाइट मेडल भी उनके पास है।