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हिंदू सेना ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की PIL, कहा- प्रसाद में मिलावट की SIT से कराएं जांच

नई दिल्ली:  आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति बालाजी के लड्डुओं के घी में पशु वसा के कथित इस्तेमाल को खड़ा हुआ विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। अब किसान और हिंदू सेना ने सुप्रीम कोर्ट जनहित याचिका (PIL) दायर की है। याचिका में प्रसाद में की गई मिलावट की एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई है।

किसान और हिंदू सेना के अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने याचिका में कहा है कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भक्तों को घी के बजाय पशु वसा का उपयोग करके तैयार लड्डू प्रसादम परोसा है। टीटीडी ने हिंदू धर्म का उपहास किया है और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। लड्डू प्रसादम तैयार करने में पशु वसा का उपयोग करने के आरोप ने हिंदू समुदाय की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। इसलिए मामले में जनहित याचिका दायर की गई है। साथ ही मामले की एसआईटी से जांच कराने की मांग की है।

क्या है तिरुपति मंदिर के लड्डू में चर्बी का पूरा विवाद
आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लैब रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि, मंदिर के प्रसादम में प्रयोग होने वाले शुद्ध घी में जानवरों की चर्बी मिली हुई है। भगवान तिरुपति के प्रसादम बनाने में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। लड्डुओं में घी के बजाय जानवरों की चर्बी का उपयोग किया गया। ये मिलावट पिछली सरकार के दौरान दिए गए घी के ठेके के चलते हुई है। सीएम ने कहा था कि इस भ्रष्टाचार में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में सरकार की ओर से कई लोगों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा चुका है।

वहीं इस पूरे मामले पर मंदिर समिति तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की ओर से भी बयान जारी किया गया है। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम मंदिर के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर श्यामला राव ने भी स्वीकार किया है कि मंदिर की पवित्रता भंग हुई है। पिछली सरकार ने मिलावट की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाए थे। राव ने आगे कहा कि, जब मैंने टीटीडी की कार्यकारी अधिकारी का पदभार संभाला था, तो मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने खरीदे गए घी और लड्डू की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की थी।

वाईएसआरसीपी ने हाईकोर्ट से की जांच की मांग
वाईएसआरसीपी के वकीलों ने तिरुपति लड्डू प्रसादम को लेकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा लगाए गए आरोपों की उच्च न्यायालय की पीठ को जानकारी दी। वकील ने कहा कि मौजूदा न्यायाधीश या उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति मुख्यमंत्री द्वारा किए गए दावों की जांच करे। पीठ ने सुझाव दिया कि 25 सितंबर तक एक जनहित याचिका दायर की जाए। उस दिन दलीलें सुनी जाएंगी।