चीन और पाकिस्तान एक-दूसरे को ‘सदाबहार सहयोगी’ बताते रहे हैं। लेकिन दोनों के बीच पहली बार खुलकर मतभेद सामने आए हैं। दरअसल, इस्लामाबाद में चीन के राजदूत ने वहां सीपीईसी परियोजना पर काम कर रहे चीनी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि चीनी राजदूत का हालिया बयान ‘हैरान करने वाला’ है और दोनों देशों के बीच लंबी ‘कूटनीतिक परंपरा से हटकर’ है।
यह बयान चीनी राजदूत जियांग जैदोंग ने पिछले हफ्ते उस सम्मेलन में दिया था, जो चीनी गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया था। जैदोंग ने यह बयान तब दिया था, जब हाल ही में पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हमले बढ़े हैं।
पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर बढ़े हमले
इस महीने कराची के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक आत्मघाती हमले में दो चीनी नागरिक मारे गए थे और दस अन्य घायल हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ली थी। इसी तरह, मार्च में भी चीनी कामगारों को निशाना बनाया गया था। बेशाम में हुए इस हमले में पांच चीनी नागरिकों की मौत हुई थी। इस हमले को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) या इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) द्वारा अंजाम दिया गया था।
चीनी राजदूत ने हमलों को लेकर क्या कहा था
जियांग जैदोंग ने सम्मेलन में कहा था कि इस तरह के हमले स्वीकार नहीं किए जा सकते हैं। उन्होंने इस्लामाबाद से अनुरोध किया था कि वह चीनी नागरिकों की सुरक्षा को मजबूत करे और चीन विरोधी तत्वों पर कार्रवाई करे। उन्होंने कहा था कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए चीनी नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। चीनी राजदूत ने कहा, हाल ही में चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने भी इस मुद्दे को लेकर पाकिस्तान की यात्रा की थी। इस यात्रा का मकसद यह था कि चीन चाहता है कि पाकिस्तान चीनी नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे। बिना सुरक्षित माहौल के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है।