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जयश्री ने जरांगे से मांगा समर्थन; पटोले की केंद्र से कपास के आयात पर रोक लगाने की मांग

मुंबई:  महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के लिए तीन हफ्तों से भी कम समय ही शेष है। इस बीच, कांग्रेस की बागी नेता जयश्री पाटिल ने चुनाव में समर्थ जुटाने के लिए रविवार को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से मुलाकात की। जयश्री पाटिल ने सांगली सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया था। वह लोकसभा सांसद विशाल पाटिल की भाभी और दिवंगत कांग्रेस नेता मदन पाटिल की पत्नी हैं। ये सभी पूर्व मुख्यमंत्री वसंतराव दादा पाटिल के परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

कांग्रेस ने सांगली सीट से उम्मीदवार के रूप में पृथ्वीराज पाटिल के नाम का एलान किया था। इसके बाद जयश्री पाटिल ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व अभी सुधीर गाडगिल कर रहे हैं। बागी कांग्रेस नेता ने जालना में अपने समर्थकों और देवर विशाल पाटिल के साथ जरांगे से मुलाकात की।

विशाल के भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रतीक पाटिल ने कहा, हम जरांगे के पास समर्थन मांगने पहुंचे हैं, क्योंकि जयश्री निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना चाहती हैं। उन्होंने पहले ही अपना नामांकन दाखिल कर दिया था और उन्हें काफी समर्थन मिल रहा है। जयश्री पाटिल के करीबियों के मुताबिक, उन्होंने चुनाव आयोग से ‘लिफाफा’ चुनाव चिह्न जारी करने की मांग की है। इस चुनाव चिह्न का उपयोग उनके देवर ने लोकसभा चुनावों में भी किया था और वह चुनाव जीते थे। कांग्रेस ने पृथ्वीराज पाटिल को सांगलीट से उम्मीदवार बनाने का फैसला लिया है, क्योंकि उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनावों में गाडगिल के खिलाफ एक मजबूत अभियान चलाया था और मात्र सात हजार मतों से हार गए थे।

नाना पटोले ने की आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग
वहीं, राज्य विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने केंद्र सरकार से कपास के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे किसानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और सरकार को कपास को 7,122 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने की जरूरत है। पटोले ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा कि महाराष्ट्र देश में कपास उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और यहां 40 लाख से अधिक किसान इसकी खेती कर रहे हैं। उन्होंने पत्र में लिखा, राज्य में कपास का पर्याप्त उत्पादन होने के बावजूद 22 लाख कपास की गाठों के आयात की रिपोर्ट से घरेलू कपास की कीमतों में तेज गिरावट का खतरा बढ़ गया है।