नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक पूर्व सैन्य अधिकारी की याचिका पर सुनवाई की। दरअसल, याचिका में पूर्व अधिकारी ने कथित दुष्कर्म मामले में अपने खिलाफ दायर आरोपपत्र को निरस्त करने का आग्रह किया है।
दिल्ली पुलिस और शिकायतकर्ता को नोटिस
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने कैप्टन राकेश वालिया (सेवानिवृत्त) की याचिका पर सुनवाई की, जिन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के याचिका खारिज करने संबंधी आदेश को चुनौती दी है। पीठ ने दिल्ली पुलिस और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ता के वकील ने दी दलील
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अश्विनी कुमार दुबे ने याचिका में तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को नजरअंदाज कर दिया कि पिछले आठ वर्षों में शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता सहित सात अलग-अलग थानों में नौ अलग-अलग व्यक्तियों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण और गलत तरीके से सात प्राथमिकी दर्ज कराई हैं।
इस दिन होगी सुनवाई
बता दें, अब मामले की सुनवाई छह दिसंबर को होगी। इससे पहले उच्च न्यायालय ने 31 जुलाई के अपने आदेश में कहा था कि निचली अदालत में मामला है और वह याचिकाकर्ता की ओर से दी गईं दलीलों पर विचार करने के बाद उचित आदेश पारित करेगी।
क्या कहा गया याचिका में?
याचिका में कहा गया, ‘याचिकाकर्ता 63 साल का है और भारतीय सेना का एक सम्मानित अधिकारी रहा है। वह गंभीर चिकित्सा बीमारियों से ग्रस्त है और उसे दिल का बड़ा दौरा पड़ा था तथा उसे दो स्टेंट लगाए गए हैं। उसे कैंसर होने का भी पता चला है। वह कानूनी प्रक्रिया का गंभीर दुरुपयोग करने वाली शिकायतकर्ता से उत्पीड़ित है जिसका काम दुष्कर्म और छेड़छाड़ संबंधी कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग करके और निर्दोष नागरिकों को झूठे मामलों में फंसाकर सम्मानित नागरिकों से (उनकी)मेहनत की कमाई वसूलना है।’
याचिका के अनुसार, 2019-2020 के आसपास कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान याचिकाकर्ता से शिकायतकर्ता ने संपर्क किया था, जिसने खुद को ‘सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर’ बताकर विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर पूर्व सैन्य अधिकारी की पुस्तक ‘ब्रोकन क्रेयॉन कैन स्टिल कलर’ के प्रचार की बात कही।