अयोध्या: अयोध्या में चौदहकोसी, पंचकोसी परिक्रमा व कार्तिक पूर्णिमा मेला की वजह से 15 नवंबर तक अयोध्या रोड पर डायवर्जन लागू किया गया है। हालांकि, एंबुलेंस, स्कूली वाहन, शव वाहन व फायर सर्विस समेत एमरजेंसी वाहनों को 9454405155 पर संपर्क के बाद ही इजाजत दी जा सकेगी। व्यवस्था शनिवार से ही लागू हो गई।
ऐसे आ-जा सकेंगे वाहन
सीतापुर की ओर से आने वाले भारी वाहन जिन्हें संतकबीरनगर, बस्ती, अंबेडकरनगर की ओर जाना है वे भिठौली तिराहा, इंजीनियरिंग काॅलेज चौराहा, टेढ़ीपुलिया चौराहा, कुर्सी रोड होते हुए बेहटा चौराहा, किसान पथ से निकलकर सुल्तानपुर रोड से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे होते हुए अपने गंतव्य को जाएंगे।
कानपुर की तरफ से आने वाले भारी वाहनों का बाराबंकी/अयोध्या की तरफ जाना प्रतिबंधित रहेगा। ये वाहन जुनाबगंज मोड़, मोहनलालगंज कस्बा तिराहा, गोसाईंगंज कस्बा तिराहा, सुल्तानपुर रोड से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे होते हुए अपने गंतव्य को जाएंगे।आगरा एक्सप्रेस-वे/हरदोई की ओर से आने और गोरखपुर, बस्ती, महाराजगंज, संतकबीरनगर की ओर जाने वाले भारी वाहन मोहान, जुनाबगंज, मोहनलालगंज से गोसाईंगंज से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे होते हुए अपने गंतव्य को जा सकेंगे।
परिक्रमा कर किया पुण्यार्जन, अयोध्या के बदलाव ने मोहा मन
रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा में शनिवार को आस्था की 42 कोस की परिधि में रामनाम की धुन की गूंज के बीच श्रीराम के प्रति अगाध आस्था दिखाई दी। रामलला के भव्य महल में विराजने के बाद यह पहली परिक्रमा थी, इसको लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह दिखा। परिक्रमार्थियों का मन टटोलने पर यह बात सामने आई कि श्रद्धालुओं ने न सिर्फ परिक्रमा कर पुण्यार्जन किया बल्कि अयोध्या के बदलाव ने भी उनका मन मोह लिया।
श्रद्धालु रामनाम संकीर्तन और लोकगीत गुनगुनाते आगे बढ़े जा रहे थे तो अयोध्या की भव्यता भी निहार रहे थे। कुशीनगर निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक रामकिशोर पाठक आस्था के क्षितिज पर किसी मिसाल से कम नहीं हैं। 14 कोस की 20 और पंचकोस की 30 परिक्रमा कर चुके रामकिशोर एक दशक पूर्व ही पारंपरिक कर्मकांड के माध्यम से परिक्रमा की पूर्णाहुति कर चुके हैं । इसके बावजूद प्रतिबंधों से मुकाबिल हो वह इस बार रामनगरी की परिक्रमा करने पहुंचे हैं, तो इसके पीछे भव्य मंदिर व दिव्य अयोध्या के दर्शन की लालसा है।
गोरखपुर के अजितेश शर्मा बोले कि यह उनकी चौथी 14 कोसी परिक्रमा है। इस बार परिक्रमा पथ चौड़ा हो गया है, अयोध्या भी पहले से बहुत बदल गई है। जगह-जगह निर्माण हो रहे हैं। परिक्रमा के दौरान पुण्यार्जन तो कर ही रहे हैं, अयोध्या के बदलाव का भी गवाह बनने का अवसर मिला है। सुल्तानपुर निवासी संजय सिंह रामनाम गुनगुनाते बढ़े जा रहे थे, कहा कि अयोध्या की तुलना बैकुंठ लोक से की जाती है। ऐसे में इसकी परिक्रमा बैकुंठ की परिक्रमा के समान है। राम की कृपा से अब अयोध्या के हर उत्सव व त्योहार की रौनक बढ़ गई है।