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एएमयू वैज्ञानिक समेत 101 डॉक्टर बनाएंगे कार्सिनोमा कैंसर इलाज की गाइडलाइन, ये है प्लानिंग

अलीगढ़:  न्यूक्लियर प्रोटीन ऑफ द टेस्टिस (एनयूटी) कार्सिनोमा एक दुर्लभ कैंसर है। यह बीमारी 10 लाख लोगों में से किसी एक को होती है। नट कार्सिनोमा कैंसर के उपचार के तरीकों का निर्धारण करने के लिए दुनियाभर के विश्व विशेषज्ञ मंथन कर रहे हैं। पिछले दिनों इलाज की गाइडलाइन तैयार करने के लिए 101 देशों के वैज्ञानिक और डॉक्टरों की एक टीम बनी है। इस टीम में भारत की तरफ से एएमयू के वैज्ञानिक डॉ. हिफ्जुर आर. सिद्दीकी को शामिल किया गया है।

एएमयू के जंतु विभाग के प्राध्यापक डॉ. हिफ्जुर आर. सिद्दीक कई वर्षों से कैंसर पर शोध कर रहे हैं। इनके कई शोध पत्र इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। वह अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, इटली, स्वीडन, पुर्तगाल, स्पेन, ग्रीस, ऑस्ट्रिया, सिंगापुर, मिस्र, रूस सहित विभिन्न देशों के 101 वैज्ञानिकों के साथ नट कार्सिनोमा पर काम करेंगे। डॉ. सिद्दीकी ने कहा कि नट कर्सिनोमा की जानकारी पहली बार 1991 में हुई थी। उन्होंने कहा कि न्यूक्लियर प्रोटीन ऑफ द टेस्टिस (एनयूटी) कार्सिनोमा एक दुर्लभ और घातक बीमारी है। चिकित्सक और वैज्ञानिक मिलकर इलाज करते हैं।

इस शरीर के हिस्से में होती बीमारी
इस शरीर के हिस्से में होती बीमारीडॉ. सिद्दीकी ने कहा कि कार्सिनोमा आमतौर पर सिर, गर्दन और सीने के बीच में होता है, जिसे मिडलाइन कार्सिनोमा कहा जाता था। बाद में यह पता चला कि यह कैंसर फेफड़े, हड्डियों, नाक, ग्रंथियों, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और ऊतकों सहित विभिन्न अंगों में भी होता है। उन्होंने कहा कि इसके उपचार के लिए कोई गाइडलाइन नहीं थी। अब इस कमी को दूर करने के लिए वैज्ञानिक टीम ने कार्सिनोमा के उपचार के लिए यह यह समिति बनाई। टीम में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट, नर्स, आणविक जीवविज्ञानी, सांख्यिकीविद् और जैव सूचना विज्ञान विशेषज्ञ शामिल हैं।

कैंसर के क्षेत्र में काम करने पर मिले 42 पुरस्कार
कैंसर के क्षेत्र में काम करने पर डॉ. सिद्दीकी को अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर 42 पुरस्कार मिल चुके हैं। इनमें 2010 में सोसाइटी ऑफ बेसिक यूरोलॉजिक रिसर्च यूएसए से यंग साइंटिस्ट अवार्ड, 2017 में इंडियन एकेडमी ऑफ बायो-मेडिकल साइंसेज से फरहा देबा अवार्ड, 2019 में सोसाइटी ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च से बैंकॉक में इनोवेटिव रिसर्चर ऑफ द ईयर और एएमयू के जूलॉजी विभाग से बेस्ट टीचर अवार्ड-2018 शामिल हैं। उन्हें प्रतिष्ठित सर सैयद इनोवेशन अवार्ड-आउटस्टेडिंग रिसर्चर ऑफ द ईयर 2022 से भी सम्मानित किया गया। थेरेपी-प्रतिरोधी कैंसर पर उनके काम को 2014 में यूएसए के रक्षा विभाग द्वारा तीन “फीचर्ड प्रोस्टेट कैंसर रिसर्च” कार्यों में से एक के रूप में चुना गया।