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क्रांतिकारी गीतों से गूंज रही दमिश्क, असद सरकार के पतन के एक महीने बाद सीरियाई लोग मना रहे जश्न

दमिश्क में लोगों से खचाखच भरा कॉन्सर्ट हॉल उस समय जयकारों से गुंजायमान हो उठा, जब सीरियाई विद्रोह के प्रतीक और प्रसिद्ध गायक वास्फी मासरानी ने ‘सीरिया की जीत’ के जश्न में प्रस्तुति दी। बुधवार को आयोजित कॉन्सर्ट में मासरानी 13 साल के निर्वासन के बाद सीरिया लौटे हैं। इन 13 वर्षों तक लॉस एंजिल्स में रहते हुए, मासरानी ने संगीत के जरिए से सीरिया के विद्रोह का समर्थन करना जारी रखा था, अमेरिका और यूरोप का दौरा किया था।

सीरियाई गायकों ने विद्रोह में जताई अहम भूमिका
सीरियाई छात्रों की तरफ से स्थापित एक मानवीय संगठन, मोलहम वालंटियरिंग टीम की तरफ से आयोजित इस संगीत कार्यक्रम का आयोजन, पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद को अचानक विद्रोह के कारण सत्ता से हटाए जाने के एक महीने बाद इसका आयोजन किया गया। साल 2011 में शुरू हुए लगभग 14 साल के विद्रोह और नागरिक युद्ध के दौरान, माआसरानी और अब्देलबासेत सरौत जैसे क्रांतिकारी गानों ने सीरिया के लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। सरौत एक सीरियाई गायक और कार्यकर्ता थे, जिनका 2019 में निधन हो गया था। बता दें कि, असद शासन के खिलाफ विरोध करने वाले कई लोग, जैसे माआसरानी, देश छोड़कर भाग गए थे और यह सुनिश्चित नहीं था कि वे कभी वापस आ पाएंगे या नहीं।

जश्न के दौरान छलके लोगों के आंसू
इस जश्न के दौरान कॉन्सर्ट हॉल में भीड़ के फोन की लाइट्स सितारों की तरह झिलमिलाती दिखीं, जो संगीत के साथ एकजुट होकर झूल रही थीं और लोग साथ गा रहे थे, इस दौरान कुछ लोग आंसू पोंछते भी देखे गए। भीड़ खुश होकर ताली बजा रही थी और कई लोग नए सीरियाई ध्वज को लहरा रहे थे, जो तीन सितारों से चिह्नित था। हॉल में एक बैनर पर लिखा था, ‘यह सीरिया महान है, न कि असद का सीरिया।’ माआसरानी के सबसे प्रसिद्ध गीतों में से एक है ‘जबीनाक ‘अली व माबिंताल,’ जिसे उन्होंने 2012 में गाया था। यह गीत फ्री सीरियाई आर्मी को संबोधित करता है, जो 2011 में असद के खिलाफ संघर्ष करने के लिए बनाई गई सेना और नागरिकों का गठबंधन था। इस दौरान भीड़ में एक और बैनर पर लिखा था, ‘यह जनविद्रोह है और लोग कभी हारते नहीं हैं।’