ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के देशभर में बढ़ते मामले चिंता बढ़ा रहे हैं। देश में पहला मामला कर्नाटक में रिपोर्ट किया गया था इसके बाद से अब तक यह गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, असम, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी पहुंच चुका है। कई अन्य राज्यों में भी संदिग्धों का पता चला है हालांकि इसकी पुष्टि होनी अभी बाकी है। एचएमपीवी को मुख्यरूप से श्वसन वायरस माना जाता है जो वायुमार्ग पर अटैक करके फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है। हालांकि कुछ लोगों में इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का खतरा भी हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को इन दिनों फैल रही इस संक्रामक बीमारी से बचाव करते रहने की सलाह दे रहे हैं।
डॉक्टर कहते हैं, ये वायरस ज्यादा खतरनाक नहीं है, पर जिस गति से ये फैल रहा है उसपर समय रहते नियंत्रण पाना जरूरी है। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में इसके कारण गंभीरता बढ़ने का खतरा रहता है इसलिए संक्रमण की रोकथाम को लेकर सावधानी जरूरी है।देश में चूंकि संक्रमण की रफ्तार अधिक देखी जा रही है, ऐसे में आपके लिए ये जानना जरूरी हो जाता है कि अगर आप या आसपास कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाए तो क्या करना चाहिए? आइए इस बारे में समझते हैं।
पहले ये जानिए संक्रमण की पहचान कैसे होगी?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, एचएमपीवी के ज्यादातर रोगी बच्चे या बुजुर्ग हैं। रोगियों में फ्लू जैसे लक्षण होते हैं जिसमें खांसी-जुकाम, बुखार, गले में खराश, नाक बहने या बंद नाक, शरीर में दर्द, सिरदर्द जैसी समस्याएं होती हैं। हालांकि ये लक्षण ही संक्रमण की पुष्टि के लिए काफी नहीं हैं। अगर आपको कुछ समय से इनमें से 2-3 लक्षणों का अनुभव हो रहा है और सामान्य उपचार-दवाओं से आराम नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
आवश्यकतानुसार कुछ प्रकार की जांच की मदद से संक्रमण की पुष्टि का जाती है।
क्या सभी को करानी चाहिए जांच?
पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) टेस्ट को एचएमपीवी का पता लगाने के लिए सबसे विश्वसनीय तरीका माना जाता है, जो कुछ घंटों के भीतर सटीक परिणाम देता है। हालांकि, डॉक्टर सर्दी या फ्लू जैसे लक्षण वाले सभी लोगों को इस परीक्षण का सुझाव नहीं देते हैं।
दिल्ली स्थित एक अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट (बाल रोग विभाग) डॉ विभु कवात्रा कहते हैं,कई बार बच्चों में वायरस और बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए किए जाने वाले बायोफायर टेस्ट में एचएमपीवी पॉजिटिव आ जाता है। लक्षण दिखते ही टेस्ट के लिए भागना ठीक नहीं है। ये संक्रमण ज्यादातर हल्के लक्षणों वाला ही होता है, इसलिए ज्यादा चिंता की आवश्यकता नहीं है।
संक्रमित हो जाएं तो क्या करें?
अमर उजाला से बातचीत में इंटेंसिव केयर के डॉक्टर रविंद्र जयसवाल बताते हैं, एचएमपीवी संक्रमण का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, जिन रोगियों में संक्रमण का पता चलता है उन्हें सहायक चिकित्सा और लक्षणों को कम करने वाली कुछ दवाएं दी जाती हैं। ज्यादातर लोगों में ये संक्रमण कुछ दिनों में खुद से ठीक होने लगता है इसलिए परेशान होने या अस्पताल भागने की जरूरत नहीं है। सुरक्षात्मक रूप से सोशल डिस्टेंसिंग, सेल्फ आइसोलेशन और मास्क पहनने जैसे उपाय किए जा सकते हैं जिससे परिवार के अन्य लोगों को इसकी चपेट में आने से बचाया जा सके।
अगर आपको पहले से अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की कोई गंभीर बीमारी रही है तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
हर बच्चा होता है संक्रमित इसलिए परेशान न हों
डॉ विभू कहते हैं, एक से पांच साल की उम्र वाले बच्चे कभी न कभी इसकी चपेट में आते ही हैं क्योंकि ये सामान्य खांसी-जुकाम जैसा ही है। हमारा शरीर स्वयं इस बीमारी से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा विकसित कर लेता है। लगभग हर बच्चे को पांच साल की उम्र से पहले कम से कम एक बार एचएमपीवी का संक्रमण होगा। इतना ही नहीं जीवनभर में कई बार फिर इस संक्रमण का खतरा हो सकता है। ये संक्रमण पहले भी होता रहा है और आगे भी इसका जोखिम रहेगा, इसलिए इसको लेकर परेशान होने की जरूरत नही हैं।