Fri. Jan 31st, 2025

नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख्त टिप्पणी की कि ऐसे सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने पूर्व पार्षद और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की याचिका पर सुनवाई 21 जनवरी तक टाल दी है, जिन्होंने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत मांगी है। मामले में न्यायमूर्ति पंकज मिथल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने समय की कमी के कारण सुनवाई स्थगित कर दी, लेकिन जैसे ही दिन की कार्यवाही शुरू हुई, ताहिर हुसैन के वकील ने मामले का उल्लेख किया और 21 जनवरी को सुनवाई का अनुरोध किया।

‘जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है’
पीठ ने जवाब में टिप्पणी की, ‘जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है। ऐसे सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।’ उनके वकील जानकारी देते हुए कहा कि ताहिर हुसैन का नामांकन स्वीकार कर लिया गया है। इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने 14 जनवरी को ताहिर हुसैन को एआईएमआईएम के टिकट पर मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए पैरोल दी थी।

‘आरोपों की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं कर सकते’
हालांकि, इसने चुनाव लड़ने के लिए 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत के लिए उनकी याचिका को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि हिंसा में मुख्य अपराधी होने के नाते ताहिर हुसैन के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जिसकी वजह से कई लोगों की मौत हो गई। हाईकोर्ट ने कहा कि दंगों के सिलसिले में उनके खिलाफ लगभग 11 एफआईआर दर्ज की गई थीं और वह संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले और यूएपीए मामले में हिरासत में थे।

चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं- पुलिस
ताहिर हुसैन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि चुनाव लड़ना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसके लिए उन्हें न केवल 17 जनवरी तक अपना नामांकन दाखिल करना था, बल्कि बैंक खाता खोलना और प्रचार करना भी था। यह कहते हुए कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है, पुलिस ने आरोप लगाया था कि ताहिर हुसैन जो फरवरी 2020 के दंगों का ‘मुख्य साजिशकर्ता’ और ‘वित्तपोषक’ था, वह औपचारिकताएं पूरी कर सकता है और हिरासत पैरोल पर चुनाव लड़ सकता है।

By Editor