नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि लोकतंत्र में किसी राजनीतिक दल के अधिकारों को कुचला नहीं जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने तेलंगाना के बीआरएस विधायकों की याचिका पर यह टिप्पणी की।
बीआरएस विधायकों की अयोग्यता विवाद में अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में किसी पार्टी के अधिकारों को कुचलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। शीर्ष अदालत ने सोमवार को तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस में शामिल हुए बीआरएस विधायकों की अयोग्यता याचिका पर फैसला करने के लिए उचित समय के बारे में पूछते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ सोमवार को दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी पर बीआरएस और अन्य की ओर से दायर की गई याचिका भी शामिल है।
साथ ही पीठ ने कहा कि लोकतंत्र में हम अन्य दो पक्षों का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि संसद के अधिनियम को ही कुचलने की अनुमति दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा था कि राज्य विधानसभा अध्यक्ष को तीन विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर निर्णय लेना चाहिए। एक याचिका में राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए तीन बीआरएस विधायकों की अयोग्यता पर तेलंगाना हाईकोर्ट के नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जबकि दूसरी याचिका शेष सात विधायकों से संबंधित थी, जिन्होंने दलबदल किया था।
कोर्ट ने पूछा निर्णय लेने के लिए उचित समय क्या?
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने जानना चाहा कि अयोग्यता याचिका पर निर्णय लेने के लिए स्पीकर के लिए उचित समय क्या है। पीठ ने विधानसभा की ओर से पेश वकील से पूछा कि क्या उचित समय का मतलब विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होना भी हो सकता है। पीठ ने पूछा, आपकी समझ में उचित समय क्या है।