नई दिल्ली: गुजरात के अहमदाबाद में हो रही कांग्रेस पार्टी कार्यसमिति ‘सीडब्लूसी’ की बैठक के केंद्र में ‘गांधी-नेहरू-पटेल’ रहे। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने खुद नेहरू और पटेल की अटूट दोस्ती के बारे में बताया। उन्होंने पटेल और आरएसएस की विचारधारा पर भी अहम बात कही। खरगे ने कहा, पटेल साहब के प्रति नेहरूजी के मन में अपार आदर था। उनको कुछ सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेल जी के घर जाते थे। पटेल जी की सुविधा के लिए सीडब्लूसी की बैठकें उनके निवास पर रखी जाती थीं। सरदार पटेल की विचारधारा, आरएसएस के विचारों के विपरीत थी। उन्होने तो आरएसएस पर बैन लगा दिया था। बतौर खरगे, अब हँसी आती है कि आज उस संस्था के लोग सरदार पटेल की विरासत पर दावा करते हैं।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक, सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक में हो रही है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, यह साल महात्मा गांधी जी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की शताब्दी है। दिसंबर 1924 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, मेरे गृह राज्य कर्नाटक के बेलंगाव कांग्रेस अधिवेशन में अध्यक्ष बने थे। यह शताब्दी समारोह हमने 26 दिसंबर को कर्नाटक में मनाया। गुजरात की धरती पर पैदा हुई तीन महान हस्तियों ने कांग्रेस का नाम दुनिया भर में रोशन किया। दादा भाई नौरोजी, महात्मा गांधी व सरदार वल्लभभाई पटेल-ये तीनों कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। गांधी जी ने हमें अन्याय के खिलाफ सत्य और अहिंसा का हथियार दिया।
ये इतना मजबूत वैचारिक हथियार है कि इसके सामने कोई ताकत टिक नहीं सकती। आज सांप्रदायिक बंटवारा करके देश के बुनियादी मसलों से ध्यान भटकाया जा रहा है। दूसरी तरफ ‘ओलीग्राफ्कि मोनोपली’ देश के संसाधनों पर कब्जा करते हुए शासन को नियंत्रित करने की राह पर हैं। गांधी जी के नेतृत्व में जैसे चम्पारण सत्याग्रह सफल रहा था और उसने गांव-गांव में कांग्रेस की जड़ो को जमाने में मदद की वैसे ही गुजरात में सरदार पटेल के नेतृत्व में चला बारडोली सत्याग्रह और दूसरे किसान आंदोलन इतिहास में अमर हैं। इसी साल 31 अक्टूबर को सरदार पटेल जी की 150 वीं जयंती है। नेहरू जी उनको ‘भारत की एकता का संस्थापक’ कहते थे। उनकी 150 वीं जयंती हम लोग देश भर में पूरे उल्लास से मनाएंगे।