भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आज से शुरू हो गई है और छह अगस्त को इसके नतीजों की घोषणा की जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 की तीसरी लहर और महंगाई बढ़ने की आशंकाओं के बीच केंद्रीय की शुक्रवार को घोषित की जाने वाली द्वैमासिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर को वर्तमान स्तर पर ही बनाए रख सकता है।
मौद्रिक नीति में बदलाव की सीमित गुंजाइश है। कुछ औद्योगिक देशों में सुधार से जिंसों के ऊंचे दाम और वैश्विक स्तर पर कीमतों में बढ़ोतरी का उत्पादन की लागत पर असर पड़ सकता है।
जून में हुई पिछली बैठक में आरबीआई ने रेपो दर को चार फीसदी पर और रिवर्स रेपो दर को 3.35 फीसदी पर स्थिर बनाए रखा था। उससे पहले अप्रैल में हुई बैठक में भी यह स्थिर थी।
केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दरों पर फैसला लेती है। इस संदर्भ में डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि, भारतीय रिजर्व बैंक देखो और इंतजार करो की नीति अपना सकता है।