टोक्यो ओलंपिक में भारतीय मेंस हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है. भारतीय टीम ने इस इस ओलंपिक में कांस्य पदक पर अपना कब्जा जमाया है. ओलंपिक में यह मेडल भारत के लिए 41 साल के लंबे इंतजार के बाद आया है.
हरमनप्रीत सिंह टीम इंडिया के स्टार डिफेंडर और पेनल्टी कॉर्नर एक्सपर्ट हैं. उन्होंने टोक्यो से पहले रियो ओलिंपिक में भी हिस्सा लिया था. वह 25 साल का यह खिलाड़ी टीम के लिए काफी अहम साबित हुआ. पेनल्टी शॉट को गोल में बदलने वाले हरमनप्रीत सिंह की बाजुओं का दम दुनिया देख चुकी है. उन्हें ट्रैक्टर चलाना बहुत पसंद था और वह कम उम्र में ही चलाने लगे थे.
10 साल की उम्र में उनके हाथों में उतनी जान नहीं थी लेकिन वह फिर भी कोशिश करते थे. यहीं से उन्होंने खुद को शारिरिक तौर पर मजबूत किया और टीम के पावरफुल ड्रैग फ्लिकर बने.कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में भारत ने जर्मनी का सामना किया. भारतीय टीम ने शानदार खेल दिखाते हुए इस मुकाबले को 5-4 से जीता. मुकाबले में मिली जीत के साथ ही भारतीय टीम का नाम इतिहास में दर्ज हो गया और उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम कर लिया.