भारत और खासकर कश्मीर के खिलाफ अक्सर जहर उगलने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोगन की कुर्सी खतरे में दिख रही है। देश में 2023 में चुनाव होने हैं और एर्दोगन वउनकी पार्टी को सत्ता से हटाने के लिए तुर्की की छह विपक्षी पार्टियां एकजुट हो गई हैं।
मगर चुनाव से पहले ओपिनियन पोल के नतीजे संकेत दे रहे हैं कि सत्तारुढ़ गठबंधन के समर्थन में कमी आई है, जिससे राष्ट्रपति एर्दोगन पर सत्ता छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है।
उस दौरान उनकी पार्टी को 42.6% मत मिले थे। एके पार्टी की सहयोगी राष्ट्रवादी एमएचपी पार्टी के वोट प्रतिशत में भी कमी देखी गई है, साल 2018 में इसे 11.1% वोट मिले थे, लेकिन ओपिनियन पोल में पार्टी को 8-9% वोट ही मिलते दिख रहे हैं।
विपक्षी पार्टियों ने एक बैठक में कहा कि इस नए गठबंधन को और व्यापक करने से उन्हें वर्ष 2019 के स्थानीय चुनावों में एर्दोगन को झटका देने में मदद मिली थी।
बैठक में तय किया गया कि साल के अंत तक एक सिद्धांत पर सहमति तक पहुंचने के लिए साप्ताहिक बैठकें की जाएंगी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार तुर्की में विपक्षी दल ऐसा कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं, जो पहले कभी भी नहीं हुआ है।