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दिवाली रोशन करने वाले की जिंदगी में अंधेरा

 

बसरेहर । विकास खंड बसरेहर क्षेत्र में दीपक बनाकर दिवाली पर घर को रोशन करने वाले कुम्हारों की जिंदगी में अंधेरा छाया है कुम्हारों की कला के लिए उन्हें न ही किसी तरह की सरकारी मदद मिलती है उन्हें सिर्फ एक चाक मिला है दूर तालाबों से मिट्टी लाकर बर्तन व दीपक बनाकर परिवार पाल रहे हैं
बसरेहर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत बहादुरपुर लोहिया कला में दिवाली के लिए दीपक बनाकर दूसरों के घर को रोशन करने वाले कहीं न कहीं आर्थिक परेशानियां से जूझ रहे हैं क्षेत्र में दीपक बनाने वाले करीब छः परिवार हैं एक परिवार में 15 00 से अधिक दीपक बनाए जाते हैं इसकी कीमत 50 रुपए सैकड़ा थोक मैं है बढ़ा दीया प्रत्येक कारीगर के पास 3 हजार से अधिक बनाए जाते हैं जिसकी कीमत 36 रुपए दर्जन के हिसाब में थोक मैं है कारीगर भूरे सिंह ने बताया कि लगभग 30 वर्ष से इस कुम्हारी कला से जुड़े हुए हैं गांव में जो लोग बना रहे हैं वह उनका ही परिवार है उन्होंने बताया कि करीब 1 किलोमीटर दूर नहर की पटरी पर स्थित तालाब से मिट्टी साइकिल पर लादकर लेकर आते हैं दीए बनाने के लिए चाक की कीमत करीब 10 हजार रुपए है जो सरकारी योजना का लाभ मिला है
भूरे सिंह ने बताया मजदूरी को विवश है महंगाई होने के कारण परिवार का भरण पोषण चार या पांच हजार रुपए में परिवार को पालना मुश्किल है हम लोग कच्चे मकान में परिवार के साथ रहने को मजबूर है 100 दीपक की लागत करीब 25 रुपए पड़ती है और थोक में 50 रुपए सैकड़ बिक्री होती है लोहिया गांव में 6 परिवार हैं उसमें से सबसे गरीब परिवार भूरे सिंह पति पत्नी बच्चे सहित 8 लोग मजदूरी की हालात में रहते हैं

रिपोर्टर । राजेन्द्र कुमार शाक्य
बसरेहर इटावा