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हरदोई पराली दो गोबर की खाद लो -नन्द किशोर

 

हरदोई
उप निदेशक कृषि नन्द किशोर ने बताया है कि आज 20 अक्टूबर 2021 को कृषि परीक्षण एवं प्रदर्शन केन्द्र बिलग्राम चुंगी, हरदोई पर आयोजित कृषि सूचना तन्त्र के सुद्ढीकरण एवं कृषक जागरूकता कार्यक्रम के अन्तर्गत आयोजित विराट किसान मेला गोष्ठी/प्रदर्शनी/जनपद स्तरीय रबी उत्पादकता गोष्ठी का अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) वंदना त्रिवेदी की अध्यक्षता मे किया गया। अपर जिलाधिकारी द्वारा किसान मेला/कृषि प्रदर्शनी का उदघाटन करते हुये स्टालों का निरीक्षण किया गया।तद्पश्चात दीप प्रज्वलन कर कृषक गोष्ठी का शुभारम्भ किया। सर्वप्रथम उप कृषि निदेशक डॉ0 नन्द किशोर के द्वारा मुख्य अतिथि एवं अन्य प्रतिभागी अधिकारियों तथा बड़ी संख्या मे प्रतिभाग करने वाले कृषको/मीडिया कर्मियों का स्वागत करते हुये रबी अभियान के अन्तर्गत कृषि उत्पादन मे वृद्वि हेतु अपनायी जाने वाली रणनीति तथा विभागीय योजनाओं के बारे मे विस्तार से जानकारी दी।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 सी0पी0एन0 गौतम द्वारा कृषकों को रबी फसलों मे लगने वाले कीट/रोगों व उनके नियंत्रण के बारे मे जानकारी दी गयी। तथा कृषकों के संकाओं का समाधान भी किया गया। डॉ0 आर0डी0 तिवारी, वरिष्ठ वैज्ञानिक गन्ना अनुसंधान परिसर, शहजहांपुर द्वारा गन्ने की खेती के बारे मे नवीनतम तकनीक के बारे मे विस्तृत जानकारी दी। डॉ0 वेद प्रकाश, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा कृषकों को मृदा परिक्षण एवं सन्तुलित उर्वरकों के प्रयोग के बारे मे जानकारी दी गयी। जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी द्वारा कृषकों को जानकारी दी गयी धान के क्रय केन्द्रो पर धान ले जाने से पहले आनलाइन रजिस्ट्रेशन करा ले तथा धान सूखने के उपरान्त ही ले जाये। अधिशाषी अभियन्ता नहर द्वारा कृषकों को नहरों के पानी के सम्बन्ध मे विस्तृत जानकारी दी गयी। गोष्ठी मे जिला कृषि अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी इत्यादि अधिकारियों द्वारा अपनी विभागीय योजनाओं एवं शासन द्वारा कृषकों को प्रदत्त सुविधाओं के बारे मे विस्तार से अवगत कराया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि अपर जिलाधिकारी वंदना त्रिवेदी ने अपने सम्बोधन मे कृषकों से फसल अवशेष/पराली न जलाने की अपील करते हुये इसको दण्डनीय अपराध बताया तथा यह जानकारी भी दी कि पराली जलाने पर अर्थ दण्ड का प्राविधान है। किसान फसल अवशेष को बायो डिककम्पोजर का प्रयोग करते हुये अपने खेत मे ही जैविक उर्वरक स्वंय ही तैयार कर सकते है और यदि पराली ज्यादा हो तो निकटवर्ती गौशाला मे दो ट्राली पराली देकर एक ट्राली गोबर की खाद प्राप्त कर सकते है।
रिपोर्ट
प्रेमश॑कर श्रीवास्तव
दैनिक माधव संदेश न्यूज़
हरदोई