इटावा
चकरनगर चंबल नदी में बाढ़ का पानी शुक्रवार शाम से धीमे धीमे नीचे उतरने लगा है। जिससे सिंडौस सड़क मार्ग खुलने से कई गांव का आवागमन शुरू हो गया, लेकिन 45 गांव के ग्रामीण आज भी गांव में ही कैद है। घरों में पानी भरने से सैकड़ों परिवार जंगलों में त्रिपाल तानकर बच्चों के साथ रहने को मजबूर हैं। भूख प्यास से तड़प रहे ग्रामीणों में कुछ लंच पैकेट भी बांटे गए, तो कुछ भेदभाव के शिकार हो गए। इसके उपरांत ग्रामीणों को शासन प्रशासन से कोई भी मदद नहीं मिल सकी। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में फंसे ग्रामीणों ने सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है।
चकरनगर क्षेत्र में प्रवाहित नदियों में भीषण बाढ़ का पानी शनिवार को थोड़ा सा नीचे उतर गया। जिससे लखना सिंडौस सड़क मार्ग खुलने से 87 गांव के ग्रामीणों का तहसील मुख्यालय से दो पहिया वाहन से आना जाना शुरू हो गया, किन्तु ढकरा पुलिया क्षतिग्रस्त होने से चार पहिया वाहन पर पुलिस ने पूरी तरह बैन लगा दिया है। बताते चलें कि मौजूदा समय भी क्षेत्र के 45 गांव के रास्ते जलमग्न होने से ग्रामीण आज भी गांव में ही घिरे हुए हैं। जिसमें अधिकतर गांव में घर तक पानी भरा हुआ है। उपरोक्त भीषण जल भराव की समस्या के चलते कंधावली, भजनपुरा, मचल की मढ़ैया, ककरैया, खिरीटी, हरौली बहादुर पुर, भरेह , गुरभेली सहित दो दर्जन गांव के ग्रामीणों ने जंगलों में त्रिपाल तानकर पर्वतों को अपना आशियाना बना लिया है। यहां खूंखार जंगली जानवर तेंदुआ से लेकर अजगर तक का भारी खौफ है। लेकिन इसके बाद भी बाढ़ की त्रासदी झेल रहे ग्रामीण नौनिहाल बच्चों के साथ भी जंगल में रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि लंच पैकेट के उपरांत शासन द्वारा यहां किसी प्रकार की कोई राहत नहीं मिल पा रही है। कंधावली गांव में फंसा एक ग्रामीण पानी के डिब्बों से बनाई गई जुगाड़ पर बैठकर गांव की गलियों में भरे पानी से निकलते दिखा। बाढ़ का पानी घरों में भरने से सैकड़ों कच्चे व पक्के मकान धराशाई हो गए। क्षेत्रीय किसानों का सैकड़ों टन अनाज व भूसा बाढ़ के पानी में भीग कर बर्बाद हो गया। चार दिन से लगातार क्षेत्र में भरा बाढ़ का पानी क्षेत्रीय लोगों के लिए आफत बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र की जनता ने शासन प्रशासन से आर्थिक मदद की गुहार लगाते हुए गांव से निकालने के लिए मोटर बोट की व्यवस्था करने की मांग की है।
चकरनगर:-बाढ़ में करीब चार दिन से फंसे हरौली बहादुर पुर, के पीड़ितों को नही मिल पा रहा है भोजन।प्रधान मनीष दीक्षित ने बताया कि सम्बन्धित लेखपाल के द्वारा 50-60 लंच पैकेट दिए गए थे वही बेघर है सैकड़ो लोग।
उन्होंने बताया करीब दो दर्जन लोग गांव में बीमार है मोटर बोट के अभाव में इलाज नही हो पा रहा है ।वही भरेह में ग्राम प्रधान बाढ़ पीड़ितों को एक जगह खाना बनवाकर घर घर नाव से पहुँचा रहे है।गांव वालों का आरोप है कि प्रशासनिक अमला नही ले रहा है हम लोगो की सुध।
सिंध व क्वारी नदी का एक बार फिर से बढ़ने लगा जलस्तर
चकरनगर : गौरतलब हो कि 24 घंटे पहले चंबल नदी का जलस्तर घटने से ग्रामीणों ने कुछ ही राहत की सांस ली थी, कि अचानक शनिवार शाम से ही सिंध व क्वारी नदी का जलस्तर एक बार फिर से बढ़ने लगा। जिसके चलते बिठौली थाना क्षेत्र के कंधावली, भजनपुरा, ललूपुरा, बिडौरी, गुरभेली, तेलियन खोड़न आदि गांव के ग्रामीण सकते में आ गए।
सिंध व क्वारी नदी ने रोका चंबल का रास्ता
चकरनगर : मध्य प्रदेश से गुजरने वाली सिंध व क्वारी नदी का भी इस वर्ष विकराल रूप देखने को मिला है। सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में सिंध नदी ने कई पुल तोड़ दिए हैं। क्वारी नदी भी खासे उफान पर है। उपरोक्त नदियों में आई भीषण बाढ़ के पानी ने इस बार चंबल नदी की धारा को धीमा कर दिया है। जिसके चलते चंबल नदी के बाढ़ का पानी धीमे-धीमे निकल पा रहा है।
48 घंटे से विद्युत सप्लाई कटी, बाढ़ में ग्रामीणों की जान फंसी
चकरनगर : गौरतलब हो कि भरेह,हरौली बहादुर पुर,चकरपुरा,नीमाड़ाडा ,की विधुत सप्लाई बुधवार सुबह 8 बजे से ही बंद है वही समूचे ब्लॉक क्षेत्र की सप्लाई 48 घंटे से बंद है। जिसके चलते समूचे क्षेत्र की जनता में त्राहि-त्राहि मची हुई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में फंसे लोगों का रिश्तेदारों से भी संपर्क टूट गया है। त्रिपाल तानकर जंगल किनारे नौनिहालों के साथ खूंखार जंगली जानवरों के भय में जीवन यापन करने वाले ग्रामीण अंधेरे में जीने को मजबूर है। इसके उपरांत ग्रामीण विद्युत सप्लाई बंद होने से पेयजल की असुविधा से भी जूझ रहे हैं। बताते चलें कि बाढ़ में फंसे लगभग 45 गांव की विद्युत सप्लाई तो 72 घंटे से बंद है। उपरोक्त संदर्भ में एसडीएम चकरनगर सत्य प्रकाश से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि यमुना नदी में एक तार पर झोपड़ी रख गई है। जिसके चलते समूचे क्षेत्र की विद्युत सप्लाई बंद है। एनडीआरएफ की टीम को भेजकर नदी से तार को निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन वह नहीं निकल सका।