2004 के बाद जिन भी अफसरों व कर्मचारियों की शादी हुई है, अब उन्हें अपनी शादी में मिले दहेज का ब्योरा शासन को देना होगा। शासन की ओर से 12 अक्टूबर को जारी दिशा निर्देश के बाद अब महिला एवं बाल कल्याण विभाग की ओर से सूची तैयार कर सभी विभागों को नोटिस भेजा रहा है। इसमें लगभग 10 हजार अफसर व कर्मचारी शामिल होंगे।
पिछले दिनों महिला एवं बाल कल्याण विभाग के निदेशक की ओर से सभी जिलों में पत्र आया है। इसमें उन कर्मचारियों व अफसरों से दहेज का ब्योरा मांगा गया है, जिनका विवाह 2004 के बाद हुआ है। अलग-अलग विभागों में लगभग 10 हजार के आसपास ऐसे कर्मचारी और अधिकारी बताए जा रहे हैं। इन सभी को विभागाध्यक्षों के माध्यम से नोटिस देकर जवाब मांगा जा रहा है। इसका पूरा प्रपत्र शासन की ओर से आया है। जिसमें लोगों को शादी का वर्ष, उस वक्त की स्थिति और क्या-क्या दहेज लिया है, उसका ब्योरा देना होगा। कर्मचारियों का कहना है कि जब सरकार आई थी तो संपत्ति का ब्योरा मांगा गया था। अब दहेज का ब्योरा देना पड़ेगा। ये व्यक्तिगत मामले हैं। इससे किसी को क्या लेना देना।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नया नियम लागू किया है। नियमानुसार कर्मचारियों को एक घोषणा पत्र जमा करना होगा। घोषणा पत्र में कर्मचारियों को बताना होगा कि उन्होंने अपनी शादी के दौरान दहेज लिया था या नहीं। जिन सरकारी कर्मचारियों की शादी 31 अप्रैल 2004 के बाद हुई है उनके लिए यह घोषणा पत्र देना अनिवार्य होगा। सरकार की तरफ से कहा गया है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी घोषणा पत्र जमा नहीं कराता है तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। सरकारी विभागों को अक्टूबर तक घोषणा पत्र संकलित करके अपलोड करना है।
प्रदेश सरकार के दहेज प्रथा को रोकने के लिए जारी किए गए इस आदेश के बाद से विभागों में उथल-पुथल मच गई है। सरकार को जमा किए जाने वाले अधिकतर घोषणा पत्रों में सरकारी कर्मचारियों ने दहेज के लिए ना ही किया है। महिला कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश के निदेशक ने सभी विभागों के अध्यक्षों को निर्देश पत्र जारी करते हुए कहा कि यूपी सरकार की तरफ से सामाजिक बुराई दहेज प्रथा को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली, 1999 बनाई गई है।
नियमावली 2004 में पहला संशोधन
बता दें कि नियमावली में 31 मार्च 2004 को उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली 2004 में पहला संशोधन किया गया था। इसके नियमावली के तहत नियम 5 में यह प्रावधान किया गया था कि प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को अपनी शादी के समय अपने नियुक्त अधिकारी को एक स्व-हस्ताक्षरित घोषणा करनी होगी, जिसमें वह यह घोषणा करेगा कि उसने अपनी शादी में कोई दहेज नहीं लिया है।