मैंनपुरी
किशनी।धान की फसल का रोपाई काम लगभग पूरा हो चुका है। बरसात न होने व आसमान में छाये बादलों के कारण धान की फसल में घास व कीटों का प्रकोप दिनो दिन बढता ही जा रहा है। धान की खड़ी फसल की जड में सुडी लगने व फसल में घास होने से किसानों के सामने विकराल समस्या खड़ी हो गई है। क्षेत्र में निचली गंगा नहर के किनारे का क्षेत्र धान की खेती के लिये पहचााना जाता है।नहर में पूरा पानी न आने व बरसात की कमी के कारण पूरे क्षेत्र में धान की फसल पर जड़ में लगने वाली सुड़ी ने अपने पैर पसार लिये हैं।
सफेद रंग का यह कीट जडों का रस चूसकर पूरी फसल को चौपट कर रहा है। कीड़ा लगने के कारण धान की खेती सूखती जा रही है। । किसानों को अपनी फसल बचाने की चिन्ता सताने लगी है। अगर समय से कीडों की रोकथाम नहीं की गई तो किसान बरबादी के कगार पर खडा हो जायेगा। क्षेत्र के गॉव पदमपुर, सिंगनी,अनुपपुर, बल्लमपुर,दूबर,रायहार,नगला बांध,आवाजपुर, देवपुरा, नगला अन्तपुरीआदि दर्जनों गॉव में धान की खेती बडे पैमाने पर की जाती है। अब किसान कीटनाशक व चारा नष्ट करने के लिए जो दवाई फसल में डाल है उससे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है।पदमपुर निवासी किसान पूर्व प्रधान सूरज सिंह यादव ,अशोक कुमार, किशन लाल,साहब सिंह,महेशचंद्र,जगराम सिंह, महावीर सिंह, बदन सिंह शाक्य सहित दर्जनों किसानों कहना है उनकी धान की रोपाई तो हो चुकी है अब बरसात न होने से वह परेशान है।
फसल बचाने के उपाय
कृषि विज्ञान केन्द्र से जुड़े रामशंकर पाल ने बताया कि मौसम खराब होने व बरसात न होने की वजह से फसलों में रोग बढ़ रहे हैं धान में जड की सुडी मारने के लिये किसान क्लोरोपायरीफॉस 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या फोरेट 10जी पांच से आठ किग्रा प्रति एकड का प्रयोग करें।
धान में खैरा रोग से बचाव के लिये जिंक सल्फेट का प्रयोग करें । इससे धान की फसल में आने वाले सभी रोगों से बचाव हो सकेगा।