– सुप्रीम कोटर् जाने के बाद शिक्षको को मिली राहत
मैनपुरी। दो वषर् पूवर् बखार्स्त किए गए 44 शिक्षकों का जल्द वेतन जारी होगा। इन शिक्षकों को विद्यालयों में ज्वाइन भी कराया जाएगा। शिक्षकों की बखार्स्तगी पर सुप्रीम कोटर् के स्थगन आदेश के बाद शासन ने फेक डिग्री से जुड़े बखार्स्त शिक्षकों का वेतन जारी करने के निदर्ेश दिए हैं। इस संबंध में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल की ओर से बीएसए को पत्र भेजा गया है। फिर से नियुक्ति को लेकर बखार्स्त शिक्षको में खुशी की लहर है।
वषर् 2004-05 की फजीर् बीएड डिग्रियों के आधार पर जनपद के 77 शिक्षकों पर कारर्वाई की गई थी। इनमें 74 शिक्षकों को एक साथ 30 नवंबर 2019 को सेवा से बखार्स्त कर दिया गया था जबकि 3 शिक्षकों पर पहले ही कारर्वाई हो गई थी। इनमें 44 फेक डिग्री और 33 टेम्पडर् डिग्री से जुड़े मामले थे। बखार्स्तगी होने के बाद फेक डिग्री से जुड़े 44 शिक्षक कारर्वाई के खिलाफ सुप्रीम कोटर् चले गए। सुप्रीम कोटर् ने पिछले दिनों बखार्स्तगी की कारर्वाई को रोक दी और इन शिक्षकों को फिर से बहाल होने का मौका मिल गया।
बीएसए कमल सिंह का कहना है कि 44 शिक्षकों को फिर नियुक्ति देने के निदर्ेश मिले हैं। इन सभी को एक जुलाई 2021 से वेतन जारी करने की कारर्वाई भी शुरू कराई जा रही है। सुप्रीम कोटर् के दिशा निदर्ेशन में सरकार के निदर्ेश पर ये सारी कारर्वाई हो रही है। इस संबंध में अधीनस्थों को निदर्ेशित कर दिया गया है। उधर फिर से नियुक्ति पाने और जुलाई से ही वेतन जारी होने की जानकारी मिलने के बाद बखार्स्त शिक्षकों में खुशी की लहर है।
लंबे समय से शिक्षको की समस्यायें जस की तस
– अधिकारियों पर उदासीनता का लगाया आरोप
मैनपुरी। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों शिक्षक नेताओ ने बुधवार को जिलाध्यक्ष राजीव यादव के नेतृत्व में सदर विधायक सदर राजकुमार यादव को सात सूत्रीय ज्ञापन देकर अपनी मांगों को शासन तक पहुंचाने की गुहार लगाई।
जिलाध्यक्ष राजीव यादव ने बताया कि पुरानी पेंशन की मांग अब जन आंदोलन बन गई है और सरकार को अब इसे मानना ही होगा उन्होंने बताया कि आंदोलन के दूसरे चरण में प्रदेश के सभी जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर सोई हुई सरकार को जगाने का प्रयास किया जा रहा है। जिला सयोजक केपी सिंह ने कहा कि सरकार शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है जहां एक ओर राज्य कमर्चारियों को कैशलेस चिकित्सा का लाभ मिल रहा है वहीं दूसरी ओर परिषदीय शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा का लाभ दिया जाने में सरकार टालमटोली कर रही है। जबकि कैशलेस चिकित्सा लागू करने में सरकार के ऊपर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता है किंतु सरकार की हठधमिर्ता शिक्षकों तथा उनके परिवार के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है।
महिला उपाध्यक्ष किरन शाक्य ने कहा कि कई वषोर्ं से शिक्षकों की जिले में स्थानांतरण की प्रक्रिया ठप पड़ी है अतः तत्काल जिले के भीतर स्थानांतरण प्रक्रिया को चालू किया जाए। जिला उपाध्यक्ष डाॅ. आलोक शाक्य ने कहा कि अनुदेशकों तथा शिक्षा मित्रों को नियमित शिक्षक का दजार् दिए जाने की मांग की। कुरावली ब्लॉक अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने कहा कि मृतक आश्रितो के परिजनो को उनकी योग्यता के अनुसार शिक्षक पद पर अथवा लिपिक पद पर नियुक्ति प्रदान किये जाने की मांग की। जिला संगठन मंत्री मुकेश ने कहा कि शिक्षकों को 17140 व 18150 वेतनमान का लाभ दिया जाए।
मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में जिलामंत्री एमपी सिंह, सत्यवीर, दलवीर कठेरिया, योगेश यादव, डा. मनोज यादव, अशोक कुमार, कौशल गुप्ता, डा आलोक शाक्य, सुदीप पांडेय, मुकेश, प्रमोद दद्दा, प्रदीप यादव, जितेंद्र कुमार, किरन शाक्य, अशोक पाल, इमरान जाबेद, दीनदयाल, यादवेंद्र, रवि यादव, नन्द लाल, महेश शाक्य, प्रमोद शाक्य आदि उपस्थित थे। इन्हीं समस्यायों को लेकर शिक्षको ने विधायक करहल सोवरन सिंह यादव से मुलाकात करके ज्ञापन देकर अपनी मांगे शासन तक पहुंचाने की गुहार लगाई।
स्कूल तो खुले लेकिन न मोजे मिले न जूते
– अपने निजी साधनो से बच्चे जा रहे स्कूल
मैनपुरी। परिषदीय विद्यालयों का नया सत्र शुरू हुए सात माह बीते गए लेकिन बच्चों को ड्रेस, बैग, जूते, मोजे नसीब नहीं हो पा रहे। जिससे बच्चों को बिना ड्रेस के ही अपने साधनों के साथ विद्यालय जाना पड़ रहा है। हालांकि इस बार शासन ने बच्चों को सीधे-सीधे ड्रेस, जूते, मोजे उपलब्ध कराने के स्थान पर उनके अभिभावकों के खातों में धनराशि भेजने की तैयारी की है। डीबीटी के माध्यम से खातों में धनराशि पहुंचेगी। लेकिन शासन स्तर से हो रही देरी बच्चों के लिए मुश्किल बनी हुई है।
जुलाई में चालू शैक्षिक सत्र शुरू हो गया। स्कूलों में पढ़ाई शुरू हुई तो सरकार की योजनाओं पर मंथन शुरू हो गया। स्कूलों में कक्षा एक से कक्षा 8 तक के बच्चों को सरकार स्कूल बैग, दो जोड़ी यूनीफामर्, दो जोड़ी जूते, दो जोड़ी मोजे और किताबें निशुल्क देती हैं। किताबों का वितरण तो करा लिया गया। लेकिन सरकार ने इस बार बैग, यूनीफामर्, जूते और मोजे की धनराशि 1056 रुपये निधार्रित किए और इस धनराशि को सीधे अभिभावकों के खाते में भेजने का फैसला कर लिया। यह फैसला अब बच्चों के ऊपर भारी पड़ने लगा है। सत्र शुरू हुए सात माह बीत चुके हैं। लेकिन जनपद के बच्चों को अब तक न तो बैग मिला है, न जूते मिले हैं और न ही स्कूल की ड्रेस मिल पायी है।
1909 विद्यालयों में 1.69 लाख बच्चे हैं अध्ययनरत
जिले में 1909 परिषदीय विद्यालय हैं। जिनमें एक लाख 69 हजार बच्चे अध्ययनरत हैं। चूंकि शासन ने जूते, मोजे, बैग, ड्रेस की धनराशि अभिभावकों के खाते में भेजने के निदर्ेश दिए थे। जिसके बाद जिले के विद्यालयों के बच्चों और उनके अभिभावकों के आधार काडर् बैंक खाते से लिंक कराकर सत्यापन कराया गया।
इनका कहना हैं
बीएसए कमल सिंह ने बताया कि एक लाख 42 हजार बच्चों का डाटा सत्यापन कराकर शासन को भेजा जा चुका है। शेष बच्चों के आधार काडर् व अभिभावकों के बैंक खाते सक्रिय न होने से डाटा नहीं भेजा जा सका है। खंड शिक्षाधिकारियों, संकुल शिक्षकों को जल्द शेष बच्चों का डाटा सत्यापन कराकर भेजने के निदर्ेश दिए गए हैं। अभिभावकों के खातों में धनराशि शासन स्तर से डायरेक्ट बेनीफिशरी ट्रांसफर(डीबीटी) के माध्यम से पहुंचेगी।