सीओपी या कॉप दुनिया के 200 देशों वाले यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क ऑन क्लाइमेट चेंज कन्विक्शन (यूएनएफसीसीसी) के तहत निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। इस बार इसकी 26वीं बैठक होने जा रही है, इसलिए इसे कॉप 26 कहा जा रहा है।
2050 तक काॅर्बन उत्सर्जन का शून्य लक्ष्य हासिल करना। यानी जितना काॅर्बन उत्सर्जित हो उतना वातावरण में पेड़ों या तकनीक के द्वारा अवशोषित कर लिया जाए। इसके अलावा वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस की अधिकतम वृद्धि तक सीमित रखना।, उद्योगों और सिविल सोसायटी के बीच साझेदारी बढ़ाना।जलवायु परिवर्तन रोकने के लक्ष्यों और सदस्य देशों की नीतियों में मौजूद अंतर दूर करने के प्रयास हो सकते हैं।काॅर्बन क्रेडिट की खरीद-फरोख्त के लिए काॅर्बन मार्केट मशीनरी बनाना।सर्वाधिक जोखिम वाले देशों की क्षतिपूर्ति को वित्तीय आवंटन सुनिश्चित करना।
कॉप-26 सम्मेलन में विकसित और विकासशील देशों के बीच बढ़ते अविश्वास पर क्लाइमेट ट्रेंड की संस्थापक और डायरेक्टर आरती खोसला कहती हैं, जलवायु परिवर्तन की समस्या के लिए विकसित देश ही जिम्मेदार हैं।