एक घटना सुनी है। वास्तविक घटना है। उन्नीस सौ
उनचास में एक आदमी, जिसका नाम जैक वर्म, समुद्र के तट पर
अमेरिका में बैठा था। हारा-थका, जुआरी है, सब हार चुका है,
आत्महत्या की सोच रहा है। ऐसा बैठा-बैठा उठाकर कंकड़ पानी
में फेंकने लगा। रेत के घरघूले बनाने लगा। बड़ा बेचैन है, कुछ
करने को चाहिए।
ऐसा रेत में हाथ डाला, तो एक बोतल दबी हुई हाथ में आ गई।
उत्सुकतावश बोतल खींच ली। देखा, तो बोतल बंद है और भीतर
एक कागज का टुकड़ा है। खोली, तो कागज के टुकड़े में बड़ी
हैरानी में पड़ गया, समझा कि किसी ने मजाक किया है—कागज
के टुकड़े में लिखा है कि मेरी संपदा के तुम आधे अधिकारी नियुक्त
किए जाते हो। मेरा वकील-उसका पता दिया है—इससे मिलो।
बारह करोड़ रुपए मैं छोड़कर मर रही हूं। के होंगे, आधे तुम्हारे। किसी महिला अलेक्जेंड्रा के दस्तखत हैं।
सोचा कि जरूर किसी ने मजाक किया है। ऐसे ही बोतल डाल
दी, बैठा रहा। लेकिन फिर यह भी हुआ कि पता नहीं, इस दुनिया
में अघट भी घटता है। हर्ज भी क्या है; फोन करके पूछ लिया जाए
इस आदमी को। क्योंकि वकील तो लंदन में है।
फोन किया रात। वकील ने कहा कि ठीक है, मजाक नहीं है।
वह महिला अलेक्जेंड्रा, थोड़ी विक्षिप्त स्वभाव की थी। और
जीवनभर उसने ऐसे ही जीया। मरते वक्त जब मैंने उससे पूछा कि
तू संपत्ति का क्या कर जा रही है? तो उसने कहा कि जिस तरह मैं
जीयी हूं, पानी में हवा के झोंकों में बहती हुई, ऐसी ही मेरी संपत्ति
पानी में बहती हुई किसी को मिलेगी। ऐसे मैं किसी का नाम नहीं
लिख जाती। यह बोतल उसने बंद की और थेम्स नदी में डाली,
लंदन में।
बारह साल लग गए उस बोतल को पहुंचने में अमेरिका के
सागर तट पर, पर पहुंच गई। एक आदमी को मिल भी गई। वह
आदमी छः करोड़ रुपए की संपत्ति का मालिक भी हो गया। ये जो
बारह करोड़ रुपए हैं, ये सिंगर मशीन के जो मालिक हैं, उनकी ही
वह वसीयतदार थी महिला। वह तो मर चुकी है। उसे कभी पता भी
न चलेगा, किसको मिले। लेकिन उसने एक अच्छा मजाक किया।
वह जीवनभर भी ऐसे ही जीयी। उसने विवाह भी किया, तो ऐसे
ही। वह जाकर एक होटल के बाहर खड़ी हो गई। करोड़पति महिला
थी। उसने कहा, जो आदमी होटल से बाहर निकलेगा, पहला
आदमी, उससे विवाह का निवेदन करूंगी। और उसने उसी से
। विवाह किया। वह आदमी राजी हो गया, क्योंकि इतनी बड़ी
करोड़पति महिला। वह एक वेटर था होटल का, जो बाहर निकल
रहा था।
लेकिन तुम कहोगे, यह पागल थी। लेकिन तुम्हारी जिंदगी में
कुछ इससे ज्यादा भिन्न घटनाएं है? अगर गौर से देखोगे, तो बहुत
भिन्न न पाओगे।
ओशो गीता दर्शन